किलकारी
जल्द ही आने वाली है मेरी भी बारी ,
दिल में है घबराहट और दिमाग में हो रही सवालों की बमबारी।
क्या हूं मैं तैयार,
या फिर थोड़ा और करुं इंतज़ार।
डरता है मन बार–बार ,
ज़िन्दगी कहीं छीन ना ले मुझसे वह अनमोल उपहार।
शक–ओ–शुबह को मैंने आज मन से निकाल किया बाहर ,
प्यार और समर्पण से करूंगी मैं हर चुनौती को स्वीकार।
नीले आकाश सा अब दिख रहा है सब साफ़–साफ़ ,
लगता है हो जैसे कोई प्यारा सा ख़्वाब।
गूंज उठी मेरे आँगन में आज नन्ही सी किलकारी
‘ माँ का आँचल ‘ जैसे बन गया हो आज खिलखिलाते खुशियों की फुलवारी।
‘ मातृत्व शक्ति की पुकार को दिल से करें स्वीकार ’