‘ माँ के आँचल ‘ में छिपी हैं,
न जाने कितनी अनगिनत कोशिशें।
नन्ही सी जान के साथ ,
सबकी बड़ी– बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश।
उसके डगमग–डगमग कदमों को ,
धैर्य के साथ चलाने की कोशिश।
उसके चलते कदमों को दौड़ाने की कोशिश ,
उसके दौड़ते हुए कदमों को ,
गिरने से बचाने की कोशिश।
वह संभल जाए तो ,
उसे सही रास्ता दिखाने की कोशिश।
उसे सही रास्ता मिल जाए तो ,
उसे मंज़िल तक पहुँचाने की कोशिश।
उसे मंज़िल मिल जाए तो ,
खुद को ‘ अकेले पन ‘ से बचाने की कोशिश।
कोशिशों का अंबार है ‘ माँ के आँचल ‘ में ,
गुमान नहीं फ़क्र है इस माँ को अपने आँचल पे।
सभी माँओं को दिल से समर्पित।