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दुनियां के देशों से सीखें सफल परवरिश के सर्वोत्तम तरीके

दुनियां के देशों से सीखें सफल परवरिश के सर्वोत्तम तरीके

        

जब तुम माँबाप बनोगे तब पता चलेगा भारतीय Gen-Y ( Millennials Young Parents) ने अपने Teenage के दिनों में अपने Mummy-Papa के मुंह से यह फेमस डायलॉग मज़ाकिया अंदाज़ में ज़रूर सुना होगा। इस सच को नकारना बेकार है क्युंकि भारतीय Mummy-Papa विशेष रूप से मम्मियों के मुंह से निकला यह प्यारा सा ताना सहज ही चेहरे पर मुस्कान ला देता हैहम तो सच्चे मन से इस बात को स्वीकार करते हैं। आज मातृत्व के पड़ाव पर पहूँच कर मज़ाक़ में ही सही पर उनकी कही बात सच में सच साबित होते दिखती है। निश्चित रूप से यह सिलसिला आगे की Generation के साथ भी ऐसा ही चलता रहेगा। सोच के देखिये ज़रा क्या हम में से किसी ने तब इस बात को गंभीरता से लिया था ? क्या हम समझे थे की Mummy-Papa के लिए दो-तीन बच्चों की परवरिश करना कितना संघर्षपूर्ण रहा होगा। तब तो हम और आप जो चाहिए बस मांग लिया करते थे। माँ-बाप उस ज़रूरत को पूरा करने के लिए कितने जतन, कितना हिसाब-किताब करते होंगे। जो बीते हुए कल में हम नहीं समझ पाए आज माँ -बाप की भूमिका निभाते हुए जीवन खुद ही सब समझा रहा है जब अपने बच्चों की ज़िम्मेदारियों का भार अपने सर पर पड़ा है। मज़ाक भरी उस छोटी सी Line में कितनी गंभीरता है आज मालूम पड़ा है।

अपने सुख-दुःख को Side में रख कर बच्चों का श्रेष्ठ पालन-पोषण करना की प्रत्येक माता-पिता के जीवन का मुख्य लक्ष्य होता है। अभिभावक प्रतिदिन संघर्षों की सीढ़ियां चढ़ते हुए अपने बच्चों के खुशहाल भविष्य की इमारत खड़ी  करते हैं। देश कोई भी हो माँ-बाप, तन-मन-धन से अपने बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से सफल बनाने की हर संभव कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में वह अपनों से सलाह भी लेते हैं,गलतियां करते हैं,गलतियों से रोज़ कुछ नया सीखते हैं। ताउम्र उनके मन में यह डर बना रहता है की उनकी परवरिश में कहीं कोई कमी न रह जाए वरना दुनियां ताने मारने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

हँसते-खेलते बच्चे खुशहाल परिवार की पहचान होते हैं। खुशहाल परिवार की बात निकली है तो हम आपसे एक सवाल पूछना चाहेंगे कि

क्या आपने ‘World Happiness Index Reportके बारे में सुना है ?

हां या नहीं जवाब Comment में लिखकर बताइयेगा।

  माँ का आँचल अपने इस आर्टिकल में ‘United Nations Sustainable Development Solutions Network’ द्वारा प्रति वर्ष जारी किए जाने वाले दुनिया के सर्वोच्च देशों की ‘World Happiness Index Report 2024’ को आधार मानकर विश्व के विभिन्न देशों से Positive Parenting के गुणों से सीख देने का प्रयास करेगा।

  सरल भाषा में समझें तो यह रिपोर्ट दर्शाती है कि दुनिया में कौन सा देश खुशहाली के मानदंडों पर कितना सफल है और वह किस स्थान Ranking पर आते हैं। देश की खुशहाली मतलब वहां के परिवार खुश। परिवार खुश मतलब बच्चे भी खुश और इन सबकी ख़ुशी का सीधा-सीधा सम्बन्ध वहां के लोगों की सफल परवरिश से जुड़ा होगा। विभिन्न देशों की सकारात्मक परवरिश के तौर -तरीकों पर बात करने से पहले एक नज़र ‘World Happiness Index Report 2024’ पर डाल लीजिये।

 

Rank Country Happiness Score Continent
1 Finland 7.741 Europe
2 Denmark 7.583 Europe
3 Iceland 7.525 Europe
4 Sweden 7.344 Europe
5 Israel 7.341 Asia
6 Netherlands 7.319 Europe
7 Norway 7.302 Europe
8 Luxembourg 7.122 Europe
9 Switzerland 7.060 Europe
10 Australia 7.057 Australia

 

उपरोक्त Table देखने पर एक बात स्पष्ट है कि मुख्यतः यूरोपियन देश खुशहाली की श्रेणी में ऊँचे पायदान पर हैं। इन देशों के लिए यह बड़े ही गर्व की बात है।

वहीं बड़े ही दुःख के साथ यह भी बताना आवश्यक है कि कुल 146 देशों की सूची में भारत 126 स्थान पर आता है।

अब सवाल यह उठता है की हम भारतीय इतने निचले स्थान पर क्यों हैं ? इसका एक कारण तो नहीं हो सकता किन्तु मोटे तौर पर विचार किया जाए तो बढ़ती जनसंख्या,अशिक्षा,बेरोज़गारी ही मुख्य कारण हैं। ऐसे में भारतीय माता-पिता के लिए Positive Parenting करना किसी चुनौती से कम नहीं है। पर घबराने की ज़रूरत नहीं है क्युँकि हम आपको दुनियां के सफल देशों की सफल   Parenting Style से परिचित कराने जा रहे हैं।

1. SWEDAN स्वीडन

World Happiness Index में स्वीडन का स्थान भले ही चौथे स्थान 4th Position पर आता हो परन्तु Positive Parenting के आधार पर स्वीडन पहले नंबर की जगह रखता है। स्वीडिश माता-पिता Authoritative Parenting Style को follow करते हैं। पेरेंटिंग की इस शैली में माता-पिता बच्चों की भावनाओं का पूरा सम्मान करते हैं और उन्हें अपना पक्ष रखने की भी आज़ादी होती है। माँ -बाप बच्चों के लिए नियम बनाते हैं पर सख्ती से उन नियमों का पालन न करवा के नियमों के महत्व को समझाते हैं। ऐसा करके वह बच्चों का विश्वास हासिल करते हैं और बदले में बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी अनुशासित व्यवहार करते हैं। Swedish Parenting के अनुशासन और आत्मीयता के गुण बच्चों में आत्मनिर्भरता ,प्रेम और सम्मान जैसे भावों का विकास करते हैं। अभिभावक अपनी ज़िम्मेदारियों को सरलता से निभा सकें इसके लिए सरकार भी सकारात्मक कदम उठाती है। सरकारी नियमों के अनुसार यहाँ नए माता-पिता को 480 दिनों की Paid Salary (वेतन) दिए जाने का प्रावधान है। 480 दिनों में से 60 दिन पिता के लिए संरक्षित है

2.DENMARK डेनमार्क

खुशहाल देशों की फेहरिस्त में Denmark हमेशा से ही उच्चतम स्तर पर रहा है। 2024 में भी प्रशंसनीय रूप से दूसरे स्थान 2nd Position पर पकड़ बनाए हुए है।  इसका श्रेय वहां के परिवारों,माता-पिता की परवरिश को दिया जाना चाहिए। डेनमार्क में बच्चे 6 वर्ष की आयु पूरी होने पर ही स्कूल जाना शुरू करते हैं। बच्चों के ऊपर अनावश्यक शैक्षणिक भार (Academic Burden) नहीं होता है। स्कूल बच्चों की Ranking / Position को ख़ास Attention नहीं देते हुए समूह में चीज़ें करने-समझने की कला सिखाते हैं जिस से बच्चों में सामंजस्य और सौहार्द (Harmony) का विकास होता है। इसकी शुरुआत उनके घर से ही होती है क्यूंकि यहाँ परिवार के सभी सदस्य मिल-जुलकर अधिक से अधिक समय हंसते-खेलते ,बातचीत, तर्क-वितर्क करके बिताते हैं। एक-दूसरे के प्रति सम्मान के साथ ही परस्पर स्नेह उनके जीवन में महत्वपूर्ण Role निभाता है।

3.NETHERLANDS नीदरलैंड

खुशहाली के पैमाने पर Netherlands ने छठे स्थान 6th position पर जगह बनाई है। यहाँ के माता-पिता जासूसी करने के उद्देश्य से अपने बच्चों के इर्द-गिर्द बिलकुल भी नहीं मंडराते हैं बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य अपने बच्चों को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का होता है। School में भी बच्चों के ऊपर शैक्षणिक Academics रूप से Best Perform करने का बोझ कम होता है जिससे वह खुले मन से जीवन के दूसरे अनुभवों में खुशियां ढूंढ पाते हैं। माता-पिता भले ही अपने बच्चों को महंगे सुख-सुविधाएं न दे सके पर उनके ऊपर निश्चित रूप से बच्चों को स्वस्थ भोजन, उचित व्यवहार और रहने के लिए घर का प्रबंध करने की अपेक्षा की जाती है।

4.SINGAPORE सिंगापुर

दुनिया के देशों में World Happiness Index Report में Singapore का 9th स्थान है। पाठक यह सोच रहे होंगे कि हमने List के बीच के देशों को छोड़ कर इतनी लम्बी छलांग लगा कर Singapore को क्यों चुना। उत्तर है यहाँ की शिक्षण व्यवस्था। शिक्षा किसी भी व्यक्ति के जीवन की कायापलट कर सकता है। शिक्षा को आधार बना कर Singapore जैसे छोटे देश ने विश्व स्तर पर अपनी आर्थिक स्तिथि को मजबूत बनाया है। Singapore Culture में Authoritative Parenting Style का दबदबा सदैव से ही रहा है। माता -पिता बच्चों की बातों को सुनते तो हैं पर उनसे सम्बंधित किसी भी विषय पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार अपने पास ही रखते हैं। बच्चा यदि कोई ऐसी गलती करता है जो आसानी से माफ़ी योग्य नहीं है तो Parents पूरे हक़ से मौखिक और Physical रूप से उन्हें दंड भी देते हैं। बच्चों की परवरिश में माता-पिता शिक्षा को पहली प्राथमिकता देते हैं जिसके लिए वह मोटी रकम Fees    चुकाने को तैयार रहते हैं। सिंगापुर में Academic Competition शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा का Level बहुत High है। यही कारण है कि Singapore Education Institutions में Lead करता है और Asia में पहले नंबर पर अपना नाम दर्ज करवाता है और धीरे-धीरे World Class Educational Hub  बनता जा रहा है। शिक्षित देश सुखी देश का परिचायक होता है।
इसी जज़्बे के साथ Singapore ने अपना नया Slogan बनाया है  PASSION MADE POSSIBLE’.

5.AUSTRALIA ऑस्ट्रेलिया

भारत में क्रिकेट प्रेमियों के बीच ऑस्ट्रेलिया Kangaroos के नाम से बहुचर्चित है। निश्चिंत रहिये हमारा उद्देश्य क्रिकेट पर चर्चा करने का नहीं है। हमारा Focus बच्चों की सकारात्मक परवरिश पर ही है। बाकी देशों से हट कर ऑस्ट्रेलियाई माता-पिता परवरिश की लचीली शैली को अपनाते हैं। इसे Permissive Parenting Style कहते हैं। यहाँ माता-पिता बच्चों के साथ सख्त न होकर उनके दोस्त की तरह पेश आते हैं। वह अपने बच्चों को उनके विचार व्यक्त करने की और Life के निर्णय लेने की छूट भी देते हैं। माँ-बाप बच्चों पर अपनी किसी बात को थोपने की कतई कोशिश नहीं करते। Parents अपने बच्चों को पढाई के अतिरिक्त विभिन्न खेल गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इसका जीता-जागता प्रमाण 2024 Paris Olympic में Australian खिलाड़ियों द्वारा जीते कुल 53 Medals हैं जिसमे 18 Gold Medals शामिल हैं। लचीली सोच रखने के बावजूद Australia में शिक्षा Literacy Rate 99% है। आप अगर थक गए हों तो हम सलाह देंगे  Take a Chill Pill’ नहीं समझे ! मतलबRelaxहाँ जी ऑस्ट्रेलियाई माता-पिता इसी सिद्धांत पर चलकर खुद को और बच्चों को खुश रखते हैं।

World Happiness Index के आधार पर हमने मुख्य देशों पर चर्चा तो कर ली पर इनके अतिरिक्त कुछ देश ऐसे भी हैं जिनके पालन-पोषण के सकारात्मक उपलब्धियों की वैश्विक स्तर पर तारीफ की जाती है।

1.JAPAN जापान

जापानी लोग बच्चों के पालन-पोषण के लिए पारम्परिक और आधुनिक नियमों का प्रशंसनीय संतुलन बना कर चलते हैं। यहाँ माता-पिता लिंग Gender के आधार पर बच्चों में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं करते हैं। लड़का हो या लड़की दोनों को समान रूप से महत्व मिलता है। यह उनकी प्रगतिशील सोच का परिचय देता है। रूढ़िवादी सोच वाले देशों को जापानी माता-पिता से इस सम्बन्ध में सीख लेनी चाहिए। यहाँ अभिभावक मानते हैं की बच्चों को स्वतंत्रता और ज़िम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। इस सीख को जीवन में उतारने के लिए माँ-बाप अपने बच्चों को 4 साल की उम्र से ही Public Transport  में अकेले School जाने के लिए तैयार करते हैं। बच्चों के अकेले Travel  करने को देखते हुए जापानी सरकार उनकी Safety के लिए Traffic Rules का विशेष ध्यान रखती है। यहाँ बच्चे स्कूल जाने की उम्र तक अपने Parents के साथ ही सोते हैं। इससे उनमे अपनत्व की भावना की कमी नहीं होती। माँ-बाप और बच्चे सोने से पहले बातचीत, Storytelling के ज़रिये साथ में Quality Time बिता पाते हैं। माता-पिता अपने बच्चों द्वारा पूछे जाने वाले हर सवाल का बड़े ही धैर्यपूर्वक जवाब देते हैं जिस से बच्चों की उत्सुकता बानी रहती है और उनकी सोच-कौशल को बढ़ावा मिलता है। Parents सवाल का जवाब तर्कों (Logical Answers) के साथ देते हैं जिस कारण बच्चे बाहरी दुनिया से मिलने वाले आधे-अधूरे ज्ञान से बच जाते हैं। यही कारण है कि जापान में Crime Rate बहुत कम है। यहाँ बच्चों को हर किसी का समान रूप से सम्मान करना सिखाया जाता है फिर सामने वाले की आर्थिक स्तिथि कैसी भी हो। बच्चे स्कूल के रख-रखाव ,साफ़-सफाई के कार्य अन्य छात्रों के साथ मिलकर खुद ही करते हैं। ऐसा करके स्कूल उनको अपने वातावरण को स्वच्छ रखने की सीख देते हैं। उन्हें Break Time में हलकी-फुल्की नींद (Nap) लेने की भी छूट होती है जिस से वह नयी ऊर्जा के साथ पढ़ाई में ध्यान लगा सकें। बचपन में सीखी हुई यह आदतें उन्हें बड़े होने पर जीवन की किसी भी विकट परिस्तिथि (Tough Situation) से स्वतंत्र रूप से (Independently) लड़ने योग्य बनाती  हैं।

2.INDIA भारत

हमारा प्यारा भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत प्राचीन समय से ही एक समृद्ध देश रहा है। परन्तु क्या केवल संस्कृति के आधार पर कोई देश तरक्की कर सकता है। न चाहते हुए भी कहना पड़ेगा, नहीं! बस यही कारण है कि India आज भी Developing Countries की श्रेणी में ही आता है।World Happiness Index Report में इसका स्थान 126 है। जैसा कि हमने पहले भी जिक्र किया कि भारत के पिछड़ेपन का मुख्य कारण जनसंख्या,अशिक्षा, बेरोजगारी है। भारत सरकार को इन मुद्दों से निपटने के लिए ने सिरे से Planning करने की आवश्यकता है।  खैर हम अपने मुद्दे पर आते हैं। कई कमियों के बावजूद भी यह कहना गलत नहीं होगा कि Indian Parenting Style मुख्यतः हमारे सदियों पुराने संस्कारों पर ही टिकी हुई है। यहाँ अन्य देशों की तुलना में परिवार के मूल्यों को अधिक महत्व दिया जाता है। भारतीय माँ-बाप अपने बच्चों की खुशियों के लिए सदैव ही चिंतित रहते हैं फिर  बच्चे चाहे उम्र के किसी भी पड़ाव पर क्यों न हों। भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवारों का चलन अधिक रहा है जिस कारण बच्चों को हर उम्र के खट्टे-मीठे अनुभवों से जीवन की सीख मिलने का सौभाग्य प्राप्त होता है। यहाँ बड़ों का साथ और सलाह बच्चों के लिए सुरक्षा कवच’ (Safety Guard) की तरह हर पल साथ रहता है। हालांकि नौकरियों के चलते परिवार से अलग दूसरे शहरों में रहने का चलन भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है फिर भी उनके सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य हैं। बड़ों का सम्मान और अतिथि देवोभवः इसका उदाहरण है। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और उनके विभिन्न पर्व Festivals माला के मोतियों की तरह एक-दूसरे को जोड़े रखने का काम करते हैं।

सौ बात की एक बात

देश हो या विदेश बीते कई दशकों में समाज के नियमों में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिले हैं जिसका सीधा प्रभाव माता-पिता द्वारा बच्चों के पालन-पोषण की शैली पर पड़ा है। सभी देशों के Parenting Style में वहां की संस्कृति, समाज, खान -पान , पर्यावरण सब मिलकर महत्वपूर्ण Role अदा  करते हैं। इसलिए विभिन्नता होना स्वाभाविक है। हमारा मानना है कि पुराने दिनों की अपेक्षा Young Parents के लिए बच्चों की सफल परवरिश करना अधिक चुनौतीपूर्ण है क्यूंकि आधुनिकता और Technology के प्रचार-प्रसार के चलते लोगों की जीवनशैली Lifestyle में भी बदलाव आया है। अभिभावक अब सख़्ती से अपनी हर बात बच्चों से नहीं मनवा सकते जैसा करना गलत भी होगा।

सौ बात की एक बात यही है कि Parents को पारम्परिक और आधुनिकता के गुणों को दिल से लगाना चाहिए और दोषों को Tata-Bye-Bye करके अपनी परवरिश में सकारात्मक बदलाव करते हुए बच्चों को सामाजिक, नैतिक, अनुशासित ,आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना चाहिए। बदलाव प्रकृति का नियम है’ ‘Change is the Only Constant’ इस सिद्धांत को माता-पिता को हर हाल में समझकर बच्चों के प्रति न अधिक लाड-प्यार और न ही अधिक सख्ती का रुख़ अपनाते हुए एक Balanced Approach’ अपनाने की  आवश्यकता है। माँ-बाप की आज की परवरिश बच्चों का आज और भविष्य निश्चित करते हैं।

‘बातों-बातों में’ माँ के आँचल का आज का लेख बहुत लम्बा हो गया पर हमारा मानना है जब कोई बात दिल से निकली हो तो उसमें कुछ भी अधूरा नहीं छूटना चाहिए। आप की क्या राय है Comment करके ज़रूर Share करें।

Happy Parenting 😊 

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