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बच्चे को समझाना है टेढ़ी खीर !

illustration of a mother explaining a complex concept to her Son

                             खीर मिठास से भरपूर ऐसा व्यंजन है जो बड़े हो या बच्चे सबको पसंद होती है। अब सवाल यह उठता है की हम टेढ़ी खीरका ज़िक़्र बीच में कहाँ से ले आये वह भी बच्चों के सन्दर्भ में। हिंदी के इस प्रचलित वाक्यांश को जो लोग सुनते आये हैं वह समझ ही गए होंगे पर जो नहीं समझे उनके लिए हम बताना चाहेंगे की टेढ़ी खीर का मतलब होता है मुश्किल काम । अब बताइये बच्चों को समझाना हुआ न मुश्किल काम। किसी भी mummy-papa के लिए तो निसंदेह है। जिस बच्चे के बात करना सीखते ही माँबाप उसे अच्छेबुरे का फर्क समझाने लगते हैं। उन्हें क्या खाना है, क्या नहीं। किससे बात करना है, किससे नही। कब खेलना है, कब पढाई करनी चाहिए जैसी हर छोटीबड़ी बात समझाते हों और उनका दुलारा बच्चा बिना किसी सवालजवाब के सारी बातें मान भी लेता हो उन parents की तो जैसे सारी चिंता ही ख़त्म समझो। पर parenting क्या सचमुच इतनी आसान होती है। ना जी ना बिलकुल नहीं। जो बच्चा कुछ सालों तक आपकी हर बात को ‘ पत्थर की लकीर ’ मानता था वह जब सवालों का duster उठाकर आपकी कहीं बातों को मिटाता है यानी आपसे तर्कवितर्क करने लगता है तब माँबाप के लिए असल struggle शुरू होता है। कई बार माँबाप भौचक्के रह जाते हैं पर उन्हें यह समझना चाहिए की बच्चे का जो बर्ताव आपको चौंका रहा है वह उसके लिए सामान्य बदलाव हो सकता है। ऐसे में यदि बच्चा आपकी बात को काटे , तर्क वितर्क करें तो आप उसे डाँटे नहीं बल्कि पूरे संयम से उसकी बातों का उचित उत्तर देने की पूरी कोशिश करें। बच्चा आपका है तो यह आपकी ज़िम्मेदारी है की आप उसके मनोभावों को समझकर उसके सवालों का जवाब ढूंढ सकें। दुनिया भर के शोर के बीच हमने इस मुद्दे पर कुछ व्यावहारिक तरीके decode किये हैं।आइये उनको समझते हैं

1. बच्चे पर चिल्लाना , ना बाबा ना

क्या आपने गौर किया है की दो व्यस्क लोग बहसबाज़ी में अपनी अपनी आवाज़ ऊँची करते हैं तो कुछ ही देर में वह बहस उग्र हो जाती है।अब सोचिये की यहाँ तो आपका मासूम सा बच्चा है जो अपनी आधी अधूरी समझ से शायद अपनी बात मनवाने के चक्कर में अपनी आवाज़ ऊँची कर रहा हो। मुमकिन है उसने अपने ही घर में या किसी और बड़े को ऐसा करते देखा हो। बच्चे को संयमित करने के लिए आपको ही धैर्य दिखा कर उसके मन को शांत करना होगा। जब बच्चे का गुस्सा control हो जाये तब उसे सही गलत का फर्क समझाएं।

  1. कोई उदाहरण/ example देकर समझाएं

जब भी आपका बच्चा आपकी बातों को अनसुना करे तो उसे समझाने का तरीका है उस समय की किसी मिलतीजुलती situation से जुड़ा किस्सा कहानी सुनाएं। ऐसा करने से बच्चे का interest आपकी बात में जागेगा और तब आप बातोंबातों में उसे सही गलत के होने वाले परिणामों से परिचित करवा सकते हैं। इससे बच्चा तब तो आपकी बात मानेगा ही बल्कि आपकी सलाह को lifelong lesson के रूप में याद रखेगा।

3. अपनी समझ को बच्चे की समझ से match करें

माता पिता होने के नाते हम अपने बच्चों से ढ़ेरों उम्मीदें लगा लेते हैं और यह भूल जाते हैं की हम भी कभी बच्चे थे . समय के चक्र में कुछ साल पीछे जाकर देखिये की कितनी ही बार आपको ऐसा लगता था की mummy – papa बिना बात के ही आपको डांटें जा रहे हैं। याद आया ना ! अब यह कोई दिव्य ज्ञान तो है नहीं। बस तो फिर अपना बचपन याद करके अपने आज में , अपने बच्चों के साथ थोड़ा soft होकर उसका दोस्त बनकर बातों को समझने की कोशिश करिये। जब आप और बच्चा same pitch पर होंगे तो जीवन रूपी race को आप दोनों साथ में मिलकर जीत लेंगे।

  1. आप बच्चे को guide करें order नहीं

अधिकतर माता पिता के साथ एक बड़ी ही common सी समस्या होती है की वह अपने बड़े होने का advantage लेते हुए बच्चे का Boss बन जाते हैं। आप तेज़ आवाज़ में बच्चे को कुछ भी कहेंगे तो वह उसे order की ही तरह लगेगा। जैसे, अभी पढाई करो ! यह खाना ही पड़ेगा ! आज खेलने नहीं जाना है ! दोस्तों के साथ अकेले नहीं जा सकते ! वगैरह वगैरह। जो बच्चा आपको अपने मन की सारी बातें बता रहा हो बदले में आप उसे नहीं ! अभी नहीं ! बाद में ! जैसे जवाब दें तो धीरे धीरे वह भी आपकी बातों को एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकल देगा। ऐसे व्यवहार के नतीजे में कुछ बच्चे उग्र भी हो जाते हैं। बात हाथ से निकल जाये उस से पहले ही आपको बातों को घुमाफिरा के handle करना सीखना चाहिए। बच्चे को सीधा ना कहने के बजाए आप कह सकते हैं पहले homework कर लो फिर अपना मनपसंद खेल, खेल सकते हो ‘. खानेपीने को लेकर आपका बच्चा आनाकानी करे तो आप उसे कहे ‘ Pizza खाना है तो हम दोनों साथ में खाएंगे पर अगर healthy बनना है तो रोज़रोज़ junk food नहीं दाल, रोटी, सब्ज़ी ही best है। बच्चा आपकी बात से agree न हो तो उसे कोई मज़ेदार youtube video दिखा कर समझाएं। पर हाँ जब बच्चा video देखे तो आपका साथ में बैठना important है तभी आप उस से connection बिठा पाएंगे और बच्चा आपकी कही बात की एहमियत समझेगा.वरना तो बात आईगई होते देर नहीं लगेगी।

  1. Listening skill महत्व समझाएं

संभव है आपको लगे की एक तो बच्चा हाथ से निकलता जा रहा है और हम उसे listening skill सीखने की बात कर रहे हैं। नाराज़ न हों , हम यह कह रहे हैं की आप इस बारे में अपने free time और बच्चे के mood के हिसाब से चर्चा कीजिये। यह कोशिश बच्चे के समझदार होते ही आप थोड़ाथोड़ा करके शुरू कर सकते हैं। उसे बताएं की दुनियां के जितने भी जाने माने Public speaker हुए हैं वह पहले अव्वल दर्जे के listener रहे हैं। उसे बताए की life में कोई भी छोटे बड़े decision लेने की परख कुछ हद तक हमारी listening skills पर निर्भर करती है। इस बात की जानकारी होनी चाहिए की हम जब भी किसी की बात ध्यान से सुनते हैं तो हमे कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है और वह life में कहीं न कहीं हमारे काम ज़रूर आता है।हम अच्छा सुनेंगे तो अच्छा करेंगे और इस सेoverall personality development में मदद मिलती है। यकीन मानिये यदि इस point को बच्चे ने गंभीरता से समझ कर अपना लिया तो वह आपकी बातों को भी एहमियत ज़रूर देगा। वैसे भी हर बच्चे की life के पहले Hero उसके mummy-papa ही होते हैं।

सौ बात की एक बात

इस विषय पर चर्चा बहुत लम्बी चल सकती है। पर मोटे तौर पर हमने मुख्य रूप से उन points को पेश किया है जो सभी parents के लिए मददगार साबित हो सकेंगे। सौ बात की एक बात यही है कि बच्चे को समझाना अगर टेढ़ी खीर है तो आपको टेढ़ा होने की ज़रूरत कतई नहीं है। बच्चे के व्यवहार में हो रहे बदलाव को ठहराव देने के लिए आपको भी संयमित होना पड़ेगा। क्यूंकि ताली भी तो दोनों हाथों से ही बजती है ना जनाब । हम आशा करते हैं की माँ के आँचल की आज की चर्चा आपका और आपके बच्चे का coordination मजबूत करने में मदद ज़रूर करेगा।

Happy Parenting!

 

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