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बच्चों के दोस्त बनने के सरल उपाय जो करीबी बढ़ायें

बच्चों के दोस्त बनने के सरल उपाए जो करीबी बढ़ायें BLOG

दोस्त ! जीवन का ऐसा रिश्ता कब , कहाँ , कैसे बन जाए कोई नहीं जानता। दोस्ती होने के लिए दो लोगों के बीच सोच का तालमेल बैठना बहुत ही ज़रूरी है। अब सोचिये ज़रा की एक बच्चे का उसकी life में सबसे पहले किस से तालमेल बैठता है। जी बिलकुल आप ! हाँ आप ही तो हैं उसके सबसे अपने मम्मी और पापा । बच्चा अपना पहला कदम, पहला शब्द सब कुछ तो मम्मीपापा से ही सीखता है तो फिर धीरे धीरे उनमें अनकही सी दूरी क्यों बन जाती है। इसका कारण आप हाँ आप ! माता पिता ही होते हैं। यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि parents अपने बच्चे को दुनिया भर की हिदायतें देते देते यह भूल जाते हैं कि पेरेंटिंग का मतलब केवल टोका टाकी करना नहीं है। दरअसल एक सफल parenting में जरूरत है 80% connection और 20% मार्गदर्शन की। यदि आपका बच्चे के साथ कनेक्शन ही टूट जायेगा तो आप 20% मार्गदर्शन से उसकी दुनिया का हिस्सा नहीं बन सकते। माँ के आँचल के इस लेख में हम ‘माता पिता का बच्चों के साथ कनेक्शन मज़बूत करके उनका पक्का वाला दोस्त बनने के अचूक तरीकों पर चर्चा करेंगे।

1.Time! Time और Time

Time या वक़्त दुनिया की इकलौती ऐसी चीज़ है जो ना कभी , किसी के लिए रुका और ना ही कभी रुकेगा। इस सच्चाई को दिल से कबूल करके हर parents को अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा वक़्त देना चाहिए। याद रखिए यदि आज आपके पास बच्चों के लिए समय नहीं होगा तो 100% आगे चलकर आपके बच्चों के पास भी आपके लिए 0% time होगा। अकसर parents office workload की वजह से बच्चों को time नहीं दे पाते हैं। छोटी छोटी बातों के लिए वह बच्चे को अभी तभी , कल परसों पर टाल देते हैं। यहीं वह बहुत बड़ी गलती कर बैठते हैं कि उन्हें एहसास ही नहीं होता कि यदि बच्चे को अच्छी बुरी कोई भी फीलिंग शेयर करनी है तो उसका उसी समय मोल है, समय निकल जाने पर ख़ुशी हो या दुःख उसके मायने ही बदल जाते हैं। समय सबके लिए एक समान है। रिश्तों के लिए समय निकलने से निकलता है वरना समय को रेत की तरह हाथ से फिसलते देर नहीं लगती

2. मस्ती मज़ाक , खेल कूद के साथी बनें

बच्चों का energy level, super- duper level का होता है। वह दिन भर में पढ़ना लिखना , खेलना कूदना सब बड़ी ही आसानी से कर लेते हैं। वह जो नहीं करना चाहते हैं वह है rest . एक माँ होने के नाते यह हमारा बच्चों के साथ personal experience है। मातापिता उनके level को भले ही मैच न कर सकें पर अपने डेली रूटीन में से किसी न किसी तरह अपने बच्चों के साथ थोड़ा fun time’ अवश्य बितायें। आप outdoor sport’ नहीं खेल सकते तो घर में ही कुछ ऐसे खेल खेलिए जिसमें आपको और बच्चे दोनों को मज़ा आए। आप तरो ताज़ा तो महसूस करेंगे ही साथ ही बच्चा खेल खेल में आपसे अपनी कई personal बातें भी शेयर कर लेगा और उसे पता भी नहीं चलेगा। मतलब एक पंथ दो काज । आप भी अपने बचपन के कुछ हँसने गुदगुदाने वाले पल बच्चे से शेयर करें। ऐसा करने पर दोनों का ‘two-way connection’ और मज़बूत बनेगा।

3. सिर्फ सुनाएं नहीं , बच्चे की भी सुनें

सभी parents के साथ यह बड़ी ही common सी समस्या होती है कि वह दिन भर बच्चे को कोई न कोई सलाह देते रहते हैं। सुबह उठकर यह करो, वह मत करो ,स्कूल में ऐसा करना वैसा नहीं , दोस्तों से ऐसे बात करना वैसे नहीं , अब सोना है , तब उठना है उफ़! वगैरह वगैरह। बच्चों के लिए routine बनाना बहुत अच्छी बात है। Routine लाइफ में discipline लाता है पर एक बात कभी न भूलें की बच्चा छोटा हो या बड़ा उसके भी अपने विचार और अभिव्यक्ति होती है । उसका सम्मान करें और केवल खुद ही बोलते न रहें। बच्चे की राय भी जानिए जैसे T.V पर क्या देखा जाये , खाने में क्या खाया जाये आदि। बच्चा जब कुछ बोल रहा है तो उसकी बात को काटे नहीं बल्कि दिल से सुनें। उसे अपनी बात को पूरा करने का पूरा मौका दें। ऐसे मौके मिलने से बच्चे का confidence और communication skill दोनों बढ़ते हैं। यह मौके बच्चे के मन में आपके प्रति सम्मान और प्रेम भाव को बढ़ाएंगे और वह आपको केवल parent नहीं बल्कि दोस्त की नज़र से भी देखेंगे।

4. प्यार और privacy में तालमेल

माँबाप कभी भी अपने बच्चे पर प्यार लुटाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ते हैं। बेशक बच्चों के लिए मम्मीपापा का प्यार दुनिया में सबसे अनमोल होता है। पर कई बार parents भूल जाते हैं कि बच्चे की उम्र और बदलते समय के साथ प्यार करने के तरीकों में भी बदलाव की आवश्यकता होती है। जो बच्चा बचपन में हर पल मम्मीपापा को अपने आसपास चाहता है वही बच्चा किशोरावस्था की तरफ बढ़ते हुए अपने लिए कुछ personal space यानी privacy की उम्मीद करता है। बचपन में वह हर छोटी बड़ी बात आसानी से आपसे कर लेता है पर टीनएजर बच्चे के सोच विचार,अनुभव बड़ी ही तेज़ी से बदलते हैं जिन्हें वह माँबाप से share करने पर हिचकने या घबराने लगता है। बच्चे की इस हिचक को दूर करने के लिए चाहिए की आप उसके आसपास मौजूद रहकर नज़र तो रखें पर 24*7 निगरानी mode में न रहें। बच्चे को थोड़ी privacy दीजिये पर सजग रहकर।

5. बच्चे के mentor बनें dictator नहीं

कई मातापिता के लिए mentor और dictator दोनों ही शब्द अनसुने हो सकते हैं पर smart parent’ बनने के लिए आपको इनका सही मतलब पता होना ज़रूरी है। Mentor वह व्यक्ति होता है जो अपने शिष्य को सही राह दिखाए , उसे सही गलत का फर्क समझा कर तर्कों के माध्यम से विकास में मदद करे। इसके उलट Dictator वह होता है जो अपनी बात को ही पत्थर की लकीर की तरह मानता और मनवाता हो। यानी जो इसने कह दिया वही करना होगा। अब आप खुद सोचविचार करिये की आप इन दोनों में से किस तरह का parent बनना पसंद करेंगे जिससे आप अपने बच्चे के करीब हो सकें। क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को अपना दोस्त बनाना पसंद करेंगे जो हर वक़्त केवल अपनीअपनी चलाता हो। निश्चित रूप से नहीं तो फिर आपका बच्चा आपके dictator रूप को दोस्त के रूप में कैसे अपना सकेगा। तो एक बात तो गाँठ बाँध लीजिये कि यदि आपको अपने बच्चे का दोस्त बनना है तो उसके mentor बनें, एक खड़ूस dictator कतई नहीं वरना वह आपसे धीरेधीरे कन्नी काटने लगेगा।

सौ बात की एक बात

एक अच्छे और सच्चे दोस्त की अहमियत ठीक वैसी ही होती है जैसे तपती ज़मीन पर बारिश की बूँदें । सफल माता पिता बनने के लिए आपको भी अपने बच्चे के लिए वही भीनी भीनी सी बारिश की बूँदें बनना होगा जो कठिन परिस्तिथी में बच्चे के व्याकुल मन को शांत कर सकें। ख़ुशी के पलों में आपका बच्चा इस बारिश के साथ झूम उठे। सौ बात की एक बात यही है कि आप अपने बर्ताव, प्यार और विश्वास से अपने बच्चे के करीबी बनकर रहिये तो यकीनन बच्चा भी आपको अपना राज़दार बनाएगा। आप एक सच्चे दोस्त की तरह गलती करने पर बच्चे को संभालें। बताये गए tips को एक बार आज़मा कर ज़रूर देखें। हमारा वादा है की आपका और बच्चे का connection ऐसा जुड़ेगा जिसका signal कभी नहीं टूटेगा। मिलते हैं माँ के आँचल के ऐसे ही किसी दूसरे रोचक विषय में।

Happy Parenting!

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