बच्चों को पढ़ाने से अब ना घबराना
बच्चों को पढ़ाने से अब ना घबराना
पढ़ाई एक निरंतर चलते रहने वाली प्रक्रिया है। जीवन का व्यावहारिक ज्ञान तो सुख – दुःख के रूप में जीवन खुद ही सिखा देता है पर जब बात किताबी ज्ञान की हो तो बच्चों की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी माँ–बाप को अपने हाथों में लेनी ही पड़ती है। माता –पिता अपने बच्चे के सर्वप्रथम गुरु होते हैं यह एक universal सच है। इसी के साथ यह भी सर्वव्यापी सत्य है की अभिभावकों के लिए बच्चों को discipline के साथ पढ़ने की आदत डलवाना बड़ी ही मशक्कत का काम है।Parents को चाहिए कि वह इसके लिए समझदारी से प्लान बनायें। कुछ parents जाने –पहचाने और कुछ, खुद के बनाये हुए तरीकों का जोड़– मेल करके इस task में paas हो जाते जाते हैं तो किसी–किसी की स्थिति डाँवाडोल ही बनी रहती है। इस टास्क को थोड़ा सरल बनाने के लिए ‘ माँ के आँचल ‘ ने आजमाए हुए ‘ tips n tricks ‘ की छोटी सी लिस्ट बनायीं है जो निश्चित रूप से मार्गदर्शक साबित होगी। तो घबराना छोड़कर तसल्ली से नुस्खों पर गौर फरमाइयेगा।
- पढाई का हउवा न बनायें
हउवा यानी ‘Phobia’ ! अकसर देखा जाता है कि parents बच्चों को ‘ पढ़ाई कर लो – पढ़ाई कर लो ‘ का राग अलापते रहते हैं। कुछ exams का डर दिखा कर बच्चों पर पढ़ाई करने का दबाव बनाते हैं। ऐसे में बच्चे के मन में पढ़ाई करने से अधिक पढ़ाई ना करने के परिणामों का डर सताने लगता है। Pass होने से अधिक fail होने का डर परेशान करता रहता है। सोचिये की डर के साये में रहने वाला बच्चा पढ़ाई में क्या focus कर सकेगा।
माता – पिता को चाहिए कि वह बच्चों को पढ़ाई करके अपना भविष्य उज्जवल बनाने की सीख दें न कि fail होने का डर दिखा कर उनका मनोबल तोड़ें। आप सदियों से चली आ रही मानसिकता को थोड़ा ढील दीजिये और अव्यावहारिक मिसाल मसलन ‘ पढोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब , खेलोगे कूदोगे तो बनोगे ख़राब ‘ से बचते – बचाते अपने बच्चे के interest और capability को समझने की कोशिश कीजिये।
- बच्चे के study time का खुद भी हिस्सा बनें
कई बार parents बच्चों को डाँट –डपट कर पढ़ने के लिए बिठा देते हैं पर खुद उनके साथ नहीं बैठते। यही बहुत बड़ी गलती है। यदि आप बच्चे को पढ़ाई के लिए बिठा कर खुद दूसरे कामों में लग जाते हैं तो इस से बच्चा पढाई को गंभीरता से नहीं लेता क्यूंकि उसे पता होता है उस पर किसी की नज़र नहीं है। थोड़ी ही देर में बच्चा पढाई से बोर हो जाता है। Parents को चाहिए की वह पूरा समय न सही पर थोड़ी –थोड़ी देर में बच्चे के साथ बैठ कर कुछ सवाल–जवाब करके study time को और intresting बनाने का प्रयास करें।
- लगातार घंटों तक पढ़ने –पढ़ाने की ज़िद बेकार है
पढाई का असल मकसद ज्ञान अर्जित करना होता है ना की केवल ‘ रट्टू तोता ‘ बन ना। हो सकता है आपकी नज़र में आपका बच्चा घंटों पढाई करता है पर उसे याद बहुत कम रहता हो। इसका सीधा सा एक ही कारण है कि घंटों तक एक ही topic पढ़ते –पढ़ते बोर हो जाता है और उसके बाद बच्चा बेमन से पढता है। दिमाग को भी brake की आवशयकता होती है। बच्चों को सख्ती से घंटों तक study table से चिपके रहने को मजबूर न करें बल्कि आधे घंटे पर कम से कम पाँच मिनट का refreshment brake ज़रूर दें। हाँ पर brake के नाम पर बच्चा time waste न करने लग जाए इस बात का भी ख्याल रखें।
- केवल स्कूली books के भरोसे ना रहें
School books भले ही सबसे ज़रूरी होती हैं पर हमारा एक ‘tried n tested‘ सफल idea है कि parents बच्चों की पढाई के लिए केवल स्कूली बुक्स के भरोसे ना रहें। आज online और offline ढेरों publications की अनेकों books, market में उपलब्ध हैं। आपको अपने बच्चे की class के subject wise syllabus को ध्यान में रखते हुए अलग से कुछ बुक्स खरीदनी हैं। Homework पूरा करवाने के बाद free time में बच्चे के साथ बैठ कर practice books से कुछ questions solve करवाएं। ऐसा करने से बच्चे को कुछ न कुछ extra knowledge मिलती है और उसका aptitude level भी बढ़ता है। Same बुक से पढ़ते रहना थोड़ा बोरिंग भी हो जाता है।
- पढाई का निर्धारित time set करें
आजकल schools का समय day और afternoon shifts में होने का भी चलन हो चला है। आपका बच्चा जब भी स्कूल से लौटे उसके हिसाब से उसके home study का समय set कर लें। ऐसा न हो किसी दिन आप उसे स्कूल से आते ही homework करने बिठा दें और किसी दिन रात में सोने से पहले। पढ़ाई का समय निर्धारित होने से बच्चे का mind और body तैयार रहते हैं और उनकी productivity भी maintain रहती है।
- Digital media से पढ़ाई को रोचक बनाएं
एक ज़माना था जब television केवल मनोरंजन का साधन हुआ करता था और गिनती के एक या दो education related shows T.V पर आया करते थे पर बदलते समय के साथ technology नए–नए कीर्तिमान बनाते जा रही है। कुछ लोग नई technology को अपनाने से परहेज करते हैं पर जो समय के साथ आगे नहीं बढ़ता दुनिया उसे पीछे धकेल देती है। अपने बच्चे को दुनिया के साथ चलने के काबिल बनाने के लिए पहले आपको up-to-date रहना पड़ेगा। इसके लिए जितना हो सके online study material/courses की छान–बीन करते रहिये। Parents को अपनी निगरानी में बच्चों को advance study mediums सीखने के लिए प्रेरित करना होगा। हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी बहुत तेज़ी से digitization की ओर बढ़ रही है। खुद भी सीखिए और बच्चों को भी सिखाइये। हाँ मगर एक बात का ख्याल ख़ास ख्याल रखें की digital studies के चक्कर में किताबों के महत्व को कभी भी कमतर न आंकें। समझदारी से पढ़ाई के विभिन्न माध्यमों से ताल –मेल बिठा कर बच्चे की पढाई को और रोचक बनाये।
सौ बात की एक बात
अच्छी पढ़ाई – लिखाई किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में ‘ चार चाँद ‘ लगा देती है। पर बच्चे का व्यक्तित्व निखार उचित दिशा में तभी होगा जब बचपन से ही उसे उचित मार्गदर्शन मिले। एक अच्छे स्कूल में एडमिशन करा भर देने से ही आपकी ज़िम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती बल्कि parents को सजग रहकर अपने बच्चे की पढ़ाई – लिखाई की बागडोर अपने हाथों में लेनी चाहिए। बच्चे को पढ़ाई के प्रति उत्साहित रखने के लिए माता – पिता को खुद double energy दिखानी होगी। वह कहते हैं ना ‘ खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदलता है ‘ .
सौ बात की एक बात यही है की बच्चा तो पढाई करने में आनाकानी करेगा ही पर अगर माता – पिता थोड़ी मेहनत और समझदारी से काम लें तो वह बड़ी ही आसानी से बच्चे को पढाई करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। हमे आशा है की ‘ माँ के आँचल ‘ के इस लेख में हमने जिन बातों पर चर्चा की है उन्हें अपना कर बच्चों की पढ़ाई को लेकर parents को जो struggle करना पड़ता है उस से बाहर निकलने में थोड़ी मदद तो ज़रूर मिलेगी।
Happy Parenting!