बच्चों में Depression की Tension
माँ – बाप बनते ही ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल जाती है। बच्चों की परवरिश में Parents अपनी जी – जान लगा देते हैं पर कभी – कभी अच्छा खाना, अच्छा स्कूल , अच्छे कपड़े , सब कुछ अच्छे से अच्छा देने के बाद भी बच्चा खुश नहीं रह पाता। बच्चे के मन में एक अनजान सी उथल–पुथल चलती रहती है। तो एक गंभीर सवाल उठता है की इसके पीछे कारण क्या हो सकता है ? जवाब है ‘ Depression ‘ ! चौंकिये मत कि बच्चे और depression ! आखिर बच्चों को किस बात की Tension ? तो आइये आज ‘ माँ का आँचल ‘ में बच्चों में depression जैसे गंभीर विषय पर बात करते हैं।
Depression क्या है ?
Depression एक ऐसी गंभीर मानसिक स्थिति है जब दिमाग में ढेरों negative सवाल घूम रहे होते हैं। मन हर समय किसी उधेड़बुन में लगा रहता है। न कुछ अच्छा लगता है न ही किसी से बात करने को दिल चाहता है। मन हर समय चिढ़ – चिढ़ रहता है। किसी ने हमारी इच्छा से उलट ज़रा कुछ बोला नहीं कि गुस्सा सातवें आसमान पर भी पहुँच सकता है। कुछ लोग खुद को अकेले पन की बेड़िओं में जकड़ लेते हैं क्योंकि उन्हें बाकी सारी दुनिया उनके ख़िलाफ़ लगती है। ऐसे में उस इंसान के आस– पास negativity के माहौल के अलावा कुछ और नहीं बचता।
बच्चों में Depression
Depression अपने आप में एक चिंताजनक विषय है और यदि यह बच्चों को हो जाये तो parents की ज़िन्दगी हिल जाती है। ‘Mood swing’ तो हर किसी को होते हैं पर अगर आपका बच्चा अकसर ही उदास रहने लगे तो समझ जाइये वह किसी उलझन में फंसा है जो उसे अंदर ही अंदर परेशान कर रही है। बच्चे का कोमल मन अनकही दुविधा में इस कदर फँस जाता है कि उसे समझ ही नहीं आता की वह अपने मन की बात किससे और कैसे कहे। कहे भी कि ना कहे? कौन क्या सोचेगा ? हो सकता है उसके साथ स्कूल में कुछ बहुत बुरा हुआ हो या फिर आते जाते बस में , या उसने अपने आस – पास कहीं कुछ चौंका देने वाला हादसा देख लिया हो जिस से वह सकते में है। ऐसा कुछ भी होने पर बच्चा डर जाता है और उसका वही डर उसे किसी से बात करने से रोकता है।
बच्चों में Depression के कारण
बड़ों और बच्चों में depression के कारण मुख्य रूप से अलग होते हैं क्योंकि उनका माहौल और परिस्थितियाँ भी अलग होती हैं। फिर भी कुछ कारण ऐसे होते हैं जो बच्चे के कोमल मन को बचपन में घेरते हैं और बड़े होने तक पीछा नहीं छोड़ते। आइये ऐसे ही कुछ कारणों पर आज बात करते हैं जिन्हें नज़र अंदाज़ करना भारी पड़ सकता है।
- छोटी उम्र में बच्चे का किसी हादसे से सामना होना
बच्चों का तन और मन फूल समान नाजुक होता है। अभी तो वह लोगों और दुनियादारी समझना शुरू ही कर रहे होते है। ऐसे में जाने – अनजाने उन्होंने किसी हादसे को अपनी आँखों से देख लिया हो तो वह भयानक नज़ारा उनके मन में घर कर जाता है। उस वाकये की चुभने वाली यादें कभी – कभी पूरी उम्र पीछा नहीं छोड़ती। ऐसे में किसी का मज़बूत भावनात्मक सहारा ही उन्हें उबार सकता है।
- माता – पिता का रोज़ाना लड़ना – झगड़ना
नन्ही सी उम्र में यदि बच्चा अपने मम्मी – पापा को रोज़ लड़ते – झगड़ते देखता है तो इससे उसकी मानसिक स्थिति पर गहरी छाप पड़ जाती है। उसे लगने लगता है कि जब मम्मी – पापा एक दूसरे को प्यार नहीं करते तो उसे क्यों प्यार करेंगे। उसका ‘ Happy Family ‘ का सपना टूट जाता है और साथ में टूटता है उसका विश्वास।
- School में bully होना
दिन पर दिन स्कूल में बुली होने की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। कुछ सालों पहले तक केवल कॉलेजों में ही ragging के किस्से सुनाई देते थे पर पर्याप्त मार्गदर्शन के अभाव में यह बुरी आदत स्कूली बच्चों को भी अपना शिकार बनाने लगी है। नयी पीढ़ी भटकती जा रही है। बदमाश बच्चे शांत स्वभाव के बच्चों को परेशान करके खुद को सवा शेर समझने लगते हैं। बच्चे को रोज़ाना स्कूल तो जाना ही है। ऐसे में बुली होने वाले बच्चे स्कूल के नाम से ही घबराने लगते हैं और स्कूल न जाने के कोई न कोई बहाने ढूंढ़ते हैं। बच्चे का स्कूल न जाने का अकसर बहाना करना माता– पिता के लिए कुछ गलत होने का signal है।
- किसी तरह के शारीरिक उत्पीड़न होने पर
हम बच्चों को समझाते हैं कि दुनिया बहुत खूबसूरत है पर इस खूबसूरत दुनिया में ढेरों बुरी प्रवृत्ति के लोग भी रहते हैं। ऐसे लोग अपनी चिकनी – चुपड़ी बातों से बच्चों को भटका कर उनका शारीरिक उत्पीड़न करते हैं। ताज्जुब की बात नहीं है कि ऐसे लोग बाहरी, रिश्तेदार, कभी – कभी परिवार के लोग भी हो सकते हैं। बच्चा जिसे अपना मानता है उसकी ओर से ऐसे व्यवहार से वह सकते में आ जाता है और चुप्पी साध लेता है।
ऊपर बताये गए कारण मुख्य हैं पर इनके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे घर के बच्चों की आपस में तुलना होना , exam में ख़राब marks आना, शारीरिक रंग – रूप की हीन भावना से सामना होना।
बच्चों में depression के लक्षण
माता–पिता यदि सचेत रहें तो बच्चों में depression के लक्षण पहचान सकते हैं। डिप्रेशन की चपेट में आ चुका बच्चा मुख्यतः अपने आप से रूठा हुआ रहता है। उसके साथ घटित घटना के लिए वह मन ही मन खुद को दोषी मानने लगता है। उसे लगने लगता है की उसके साथ जो भी हो रहा है उसके लिए वह खुद ज़िम्मेदार है इसलिए वह अपनी परेशानी किसी से भी बाँटने से हिचकता है। धीरे– धीरे वह सोच के भंवर में ऐसा फंसता जाता है की वह सबसे दूरी बना कर खुद को अकेला करता जाता है। नतीज़तन उसकी ख़ुशी मायूसी में बदल जाती है और वह अपने करीबियों तक से बातचीत करने के बजाए एकांत में रहना पसंद करने लगता है। यह सिलसिला यदि लम्बे समय तक चले तो किसी बहुत बड़ी अनहोनी में बदल सकता है।
सौ बात की एक बात
हमने आज एक बहुत ही गंभीर मुद्दे पर चर्चा की है। ‘ सौ बात की एक बात ‘ यह है की हमारा मकसद किसी भी parent को डराना कतई नहीं है बल्कि समय रहते अभिभावकों को सचेत करने की request है। आप यदि अचानक अपने बच्चे के व्यवहार में लगातार होते बदलाव देखते हैं तो जितना हो सके उस से बात करें। बातों – बातों में उसके दुःख का कारण पता करें। प्यार और दुलार से उसे यह विश्वास दिलाएं कि सबकी लाइफ में उतार – चढ़ाव आते हैं। मुसीबत कैसी भी हो तुम्हें डरना नहीं है बल्कि डट के सामना करना है और मुसीबत को दुम दबा के भागने पर मज़बूर कर देना है। माता – पिता के लिए ऐसा समय मुश्किलों भरा रहने वाला है पर आप हिम्मत दिखाएंगे तभी तो अपने बच्चे की हिम्मत बढ़ा पाएंगे। आपको ही अपने बच्चे का मज़बूत support system बनकर ‘ Depression की tension ‘ को दूर भागना है। उम्मीद है ‘ माँ का आँचल ‘ का यह लेख आपको पसंद आया होगा। हम आगे भी ऐसे ही महत्वपूर्ण विषयों पर आपसे विचार साझा करते रहेंगे।
Happy Parenting!