शिशु का टीकाकरण “एक सुरक्षा कवच”
बधाई हो ! आपको बेटा / बेटी हुई है । अस्पताल में डॉक्टर या नर्स से यह लाइन सुनते ही नई माँ का बीते नौ महीनों का दर्द और पीड़ा सब छूमंतर हो जाता है। जिस प्रकार 9 महीने तक आपने अपने खान–पान, दवाइयों, इंजेक्शन का उचित SCHEDULE बनाया था उस से भी अधिक गंभीरता से आपको अपने बच्चे का MEDICAL RECORD रखना है। इसकी शुरुआत बच्चे के जन्म के तुरंत बाद से ही करना होगा उसका ‘टीकाकरण VACCINATION’ करवा के। हमारा मानना है ‘ माँ के दूध ‘ के बाद शिशु के लिए टीकाकरण ही सबसे अमूल्य चीज़ है। जन्म के पहले तक बच्चा ‘ माँ के गर्भ रूपी कवच ‘ में पूरी तरह से सुरक्षित रहता है परन्तु जन्म के प्रथम रुदन के साथ ही वह आस–पास के दूषित वातावरण से प्रभावित होने लगता है। माँ–बाप के अतिरिक्त परिवार और कितने ही रिश्तेदार बच्चे को गोद में उठा कर खिलाएंगे। ऐसे में आप नहीं जानते कि कब–कहाँ–किससे आपका बच्चा संक्रमित INFECTED हो जाए। डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी और एचपीवी जैसी घातक बीमारियाँ आज भी मौजूद हैं, जिसके कीटाणु BAD BACTERIA बड़ी ही आसानी से एक शरीर से दूसरे शरीर में संक्रमण द्वारा हस्तांतरित TRANSFER होकर संवेदनशील बच्चे के स्वास्थ्य पर हमला कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त हवा में मौजूद प्रदूषण भी नवजात के लिए हानिकारक होता है जो सांस के ज़रिये बच्चे की तबीयत ख़राब करने के लिए पर्याप्त है। नन्हा सा बच्चा NEWBORN BABY जो अभी दुनिया में आया ही है उसके शरीर में किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता IMMUNE POWER ना के बराबर होती है। INFECTION को रोकने के लिए दशकों के शोध RESEARCH के बाद MEDICAL जगत में कुछ विशेष महत्वपूर्ण और कारगर टीकों की पूरी सूची LIST तैयार की गयी है जिन्हें बच्चों को लगवाना दुनिया के लगभग प्रत्येक देश में अनिवार्य किया गया है। किसी स्थान विशेष के प्राकृतिक वातावरण को ध्यान में रखते हुए शिशु को कुछ अतिरिक्त टीके भी लग सकते हैं। भारत में ‘ राष्ट्रीय टीकाकरण अनुसूची‘ ‘NATIONAL IMMUNISATION SCHEDULE‘ NIS के तहत भारत सरकार सभी अनिवार्य टीके मुफ्त में उपलब्ध कराती है।
टीकाकरण का महत्व
”Life Or Death for A Young Child Too Often Depends on Whether He or She is Born in A Country where Vaccines are Available or Not ”
NELSON MANDELA
” दो बूँद ज़िन्दगी की ” 90’s के दशक में लगभग हर T.V Channel और अखबारों में ‘ सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ‘ को इस Tagline को बोलते हुए निःसंदेह सभी ने देखा–सुना होगा। यह विज्ञापन भारत सरकार द्वारा देश से पोलियो जैसी घातक बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए वर्ष 1994 में प्रचारित–प्रसारित किया गया था। युद्ध स्तर पर पोलियो मुक्त अभियान को लागू करना टीकाकरण के महत्व को भलीभांति दर्शाता है। जन्म के तुरंत बाद शिशु को BCG, Hep B1, OPV नामक तीन मुख्य टीके दिए जाते हैं। जैसे–जैसे महीने बीतते हैं मुख्यतः12 वर्ष की आयु तक बच्चे को अन्य बीमारियों का शिकार होने से बचाने के लिए NIS के तहत निर्धारित टीके लगवाना अनिवार्य है। बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ ही उसका लोगों से संपर्क का दायरा भी बढ़ता जाता है जिसका सीधा सा अर्थ है बीमारी की चपेट में आने के CHANCES भी बढ़ जाते हैं। इससे बचाव के सरल उपाय का नाम ही टीकाकरण है। हर एक टीके को लगवाने के पश्चात् बच्चे का IMMUNE SYSTEM Strong बनता जाता है और असमय किसी बीमारी के चपेट में आने से पहले शरीर की प्रतिरोधक क्षमता वातावरण में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने के काबिल बन चुका होता है।
1.BCG Bacillus Calmette – Guerin
यह टीका शिशु के जन्म के तत्काल बाद ही लगाया जाता है। किसी कारणवश यदि नहीं लग पाया हो तो बिना भूल–चूक बच्चे के साल भर का होने से पहले हर हाल में टीका लगवा लें।BCG का टीका फेफड़ों और शरीर के विभिन्न अंगों को उन घातक BACTERIA से संक्रमित होने से बचाता है जिनसे T.B जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। हम सभी के बाएं हाथ पर छोटा सा गोल निशान BCG टीके की ही निशानी है।
2. HEPATITIS
HEPATITIS बीमारी से ग्रसित व्यक्ति का लीवर ख़राब होने लगता है।LIVER का कार्य शरीर की रक्त कोशिकाओं को साफ़ रखने का होता है। लीवर ख़राब होने की स्तिथि में उसमें सूजन आ जाती है जिस कारण लीवर का शरीर के अन्य अंगों के साथ सामंजस्य बिगड़ जाता है और समस्या बढ़ने पर यह JAUNDICE पीलिया नामक बीमारी का रूप ले सकता है। अक्सर जन्म के समय ही कई बच्चों में पीलिया के हल्के–फुल्के लक्षण देखे जाते हैं जो की सामान्य है किन्तु SYMPTOMS गंभीर होने पर DOCTORS नवजात को दो–चार दिन के लिए अपनी निगरानी में अस्पताल में VENTILATOR पर रखते हैं जिसके उसे सांस लेने में अर्चन ना आए। जन्म के समय का MINOR JAUNDICE चिंताजनक रूप ना ले इसलिए अति आवश्यक है कि अस्पताल से छुट्टी DISCHARGE मिलने से पहले HEPATITIS B का टीका शिशु को लगवा लें। यह टीका शिशु की जांघ पर लगाया जाता है इस बात का भी ध्यान रखें।
3.OPV Oral Polio Vaccine
जब भी हम किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो देखने में स्वस्थ, सुन्दर नैन–नक्श वाला है परन्तु उसके हाथ–पैर सामान्य लोगों से थोड़े आड़े–तिरछे हैं तो मन व्यथित हो उठता है। ऐसा उन लोगों के साथ होता है जिन्हें लापरवाही या किसी अन्य कारणवश बचपन में पोलियो की बूँद वाली खुराक ना दी गयी हो। माता–पिता की एक छोटी सी गलती बच्चे को शारीरिक रूप से पूरे जीवन के लिए कमज़ोर बना देती है। जो लोग नहीं जानते हम उन्हें इस सच से परिचित करवा दें कि दुर्भाग्यवश पोलियो का इलाज आज भी संभव नहीं है। इससे बचने का एकमात्र उपाय केवल बचपन में है जब शिशु को पोलियो की बूँद वाली खुराक दी जाती है यानि ‘दो बूँद ज़िन्दगी के लिए‘। जितना हो सके स्वयं को और अपने आस–पास के लोगों को इस सम्बन्ध में जागरूक करें। इस सन्दर्भ में ‘भारत सरकार‘ बधाई का पात्र है जिन्होंने पोलियो की रोकथाम के लिए वर्ष 1994 में ‘PULSE POLIO CAMPAIGN’ को पूरे देश में बड़े पैमाने पर लागू किया जिसके सुखद परिणाम वर्ष 2014 में देखने को मिले जब हमारा देश ‘ पोलियो मुक्त भारत ‘ बन गया। Coronavirus Vaccination से पहले देश में युद्ध स्तर पर लागू किए गए स्वास्थ्य कार्यक्रम में Polio Drop Vaccination Programme का नाम दर्ज है।
हमने शिशु के जन्म के तुरंत बाद लगने वाले अति आवश्यक टीकों पर विस्तार से चर्चा की है। किन्तु इसके बाद के महीनों/वर्षों के टीके लगवाना भी कमतर महत्वपूर्ण नहीं है। प्रत्येक टीका भयंकर बीमारी से लड़ने की क्षमता रखता है। टीकों का Time Table न बिगड़े उसके लिए कार्ड बनवाना सबसे सरल तरीका है। आजकल तो बच्चे के जन्म के समय अस्पताल में ही VACCINATION CARD बना दिया जाता है। यदि कोई माता–पिता चूक भी जाते हैं तो किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में शिशु के जन्म के अनुसार CARD बनवा सकते हैं। कार्ड में जन्म से लेकर कुछ सालों तक के टीकों के नाम दर्ज होते हैं जिससे आपको और आपके बच्चे के Paediatrician को समझने में आसानी होती है कि कौन–कौन से टीके लग चुके हैं और किस महीने आगे के टीके लगने हैं। कार्ड होने का एक बड़ा लाभ यह भी है कि आप देश के किसी भी कोने में हों, निर्धारित तारीख / महीने के अनुसार बच्चे का टीकाकरण करवा सकते हैं। देश के हर प्रदेश में अनिवार्य टीकों का रूप एक समान है।
टीकाकरण से जुड़ी सावधानियाँ
‘माँ का आँचल‘ आशा करता है कि आज के लेख को इस पड़ाव तक पढ़ने के बाद पाठकों के मन में शिशु के टीकाकरण से जुड़ी हर जिज्ञासा का समाधान हो चुका होगा। फिर भी हमारा मानना है कि कोई भी माता–पिता अपनी नन्ही सी जान के स्वास्थ्य साथ हड़बड़ी में टीकाकरण की प्रक्रिया में कहीं कोई गलती ना कर दें इसलिए थोड़ा सा और संयम तथा समय देकर टीकाकरण से जुड़ी हुई कुछ विशेष सावधानियों से भी परिचित हो जाएं।
- शिशु का Vaccination Card हमेशा Updated रखें। हर Visit पर Doctor द्वारा दिए गए Vaccine की Entry, Card में ज़रूर करवा लें।
- प्रत्येक बार टीका लगवाने से पूर्व बच्चे के स्वास्थ्य, कोई भी Allergy (यदि हुई हो तो), बुखार,दस्त Doctor को अवश्य बताए क्युंकि अमूमन ऐसी किसी भी स्तिथि में टीका लगवाना उचित नहीं होता। Doctor स्वयं बच्चे की तबीयत सुधरने तक आपको अगली तारीख़ का सुझाव देते हैं।
- टीकाकरण को लेकर किसी की भी आधी–अधूरी जानकारी वाले बहकावे में ना आए। जिस प्रकार कुछ लोग आज भी इस भ्रम Myth को मानते हैं कि Pregnancy के समय अधिक Sonography करवाने से बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है उसी तरह कुछ नासमझ लोग बच्चों को लगने वाले टीकों के बारे में भी अनर्गल बातें करके नए माता–पिता को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। जैसे वह कहेंगे ‘ हमारे ज़माने में तो बच्चों को इतने सारे दुनिया भर के टीके नहीं लगते थे ‘। ऐसी बातों का कोई सिर–पैर नहीं होता इसलिए अभिभावक किसी की सलाह पर नहीं अपनी समझदारी से बच्चे से जुड़े निर्णय करें। ईश्वर ना करे यदि बच्चे की तबीयत बिगड़ती है तो यही सलाहकार आपको किसी अच्छे Doctor से मिलने की सलाह देंगे। इसलिए माँ–बाप स्वयं जागरूक बने और अपने बच्चे को बीमारियों के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए टीके अवश्य लगवाएं।
- NIS सूची से हटकर यदि आपके बच्चे की Paediatrician कोई अन्य Injection सुझाए तो आपको तुरंत निर्णय लेने की जल्दबाज़ी या घबराने की आवश्यकता नहीं है। बदलते भौगोलिक वातावरण में Healthy Body के पैमाने भी बड़ी ही तेज़ी से बदल रहे हैं। घातक बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बड़ों Adults में दिन–प्रतिदिन घटती जा रही तो फिर नन्हे से बच्चे का कोमल शरीर सब कैसे सहेगा। इसलिए आजकल कई डॉक्टर बच्चे के विकास की जांच–परख करके कुछ Booster Vaccines की सलाह देते हैं जो वैकल्पिक टीके होते हैं। सुझाये गए Injection से सम्बंधित जानकारी इकट्ठी करके सूझ–बूझ से हाँ या नहीं का निर्णय लें।
- टीकाकरण के लिए जाते समय बच्चे को हमेशा मुलायम और आसानी से पहनाने–उतारने वाले कपड़े ही पहनाए। पहली बार टीका लगवाने के बाद आपको यह बात स्वयं ही समझ आ जाएगी क्यूंकि टीका लगने के बाद बच्चा हलके दर्द में रहता है और उस समय उसकी मुलायम त्वचा का विशेष ख्याल रखने की आवश्यकता होती है। एक काम की बात यह भी जान लीजिये कि साल भर से कम आयु के शिशु को जांघ पर और उसके बाद हाथ पर टीका लगाया जाता है।
- शिशु को टीका लगने के बाद 24 घंटे में कभी भी बुखार, खुजली, दाने आने की सामान्य सम्भावना होती है। डॉक्टर इस लक्षण के बारे में खुद ही सचेत कर देते हैं इसलिए माता–पिता बिलकुल भी चिंतित न हों। हाँ यदि बुखार दो दिन से अधिक रह जाए तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
सौ बात की एक बात
जिसने भी यह कहा है कि ‘ बच्चे माँ–बाप के जिगर का टुकड़ा ‘ होते हैं बिलकुल सही कहा है। अपने बच्चों की शारीरिक और मानसिक ख़ुशी हर माता–पिता की पहली प्राथमिकता होती है। किसी बच्चे को असमय कोई जानलेवा बीमारी घेर ले तो माँ–बाप की तो पूरी दुनिया ही बिखर जाती है। इसलिए हमने आज इस बात को समझाने की पूरी कोशिश की है कि यदि बाल्यावस्था में ही अभिभावक सजग रहकर शिशु के जन्म के तुरंत बाद से निर्धारित टीकाकरण VACCINATION की प्रक्रिया को समय–समय पर पूरा करते जाए तो वह अपने बच्चे को घातक बीमारियों से बचाने हेतु ‘ सुरक्षा कवच ‘ अवश्य बना सकते हैं। टीकाकरण हर काल में महत्वपूर्ण रहा है परन्तु आज के प्रदूषण भरे वातावरण में माता–पिता को पहले से भी अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। बाजार में खाने–पीने की लगभग हर वस्तु में किसी न किसी मात्रा में मिलावट Adulteration की मार है। आपको बच्चे के शरीर को उन से पनपने वाली बीमारियों से लड़ने के काबिल बनाना है ताकि बच्चा अपनी प्रतिरोधक शक्ति को भलीभांति विकसित कर सके। सौ बात की एक बात यह है कि कोई भी भावी माता–पिता अपने बच्चे के इस दुनिया में आने से पहले ही ‘ बच्चों के टीकाकरण ‘ के महत्व को अच्छे से समझते हुए खुद को तैयार Educated कर लें जिस से शिशु के जन्म के बाद उसके स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी भी भूल–चूक की सम्भावना ना रहे। आपका बच्चा समय–समय पर शरीर पर हमला करने वाली घातक बीमारियों का सामना करने के लिए Strong Immunity Power Develop कर सके और आप निश्चिंत होकर बच्चे के साथ ख़ुशी के हर पल को जी सकें। ‘माँ का आँचल‘ अपने सभी पाठकों से अनुरोध करना चाहेगा यदि आपको टीकाकरण के इस लेख से थोड़ी भी मदद मिली हो तो इसे अपने पहचान में अन्य Parents से Share करके उन्हें भी जागरूक बनाए ।