Homework ज़रूरत या मुसीबत!
Homework बच्चों और parents के बीच बातचीत का हमेशा ही hot topic होता है।Teachers के लिए homework जहाँ ज़रूरत है तो अधिकतर बच्चे इसे मुसीबत ही समझते हैं। तो क्यों न आज हम और आप इसी बात को समझने की कोशिश करें की आखिरकार homework कितना ज़रूरी है।शुरुआत एक छोटे पर बड़े ही interesting fact से करते हैं जिसके बारे में यकीनन बहुत ही कम लोग जानते होंगे। सोचिये ज़रा की homework जैसी मुसीबत का ख्याल सबसे पहले किसके दिमाग में आया होगा। हुँ ! है ना रोचक fact। तो जवाब है homework के जनक थे Italy के Roberto Nevilis. जाहिर सी बात है पेशे से Roberto शिक्षक थे जिन्होंने 1905 में अपने छात्रों को सजा देने के इरादे से homework का चलन शुरू किया। वह दिन और आज का दिन homework का प्रचलन बढ़ता ही गया है। School हो या कोई भी शिक्षण संस्थान homework साये की तरह students के आस – पास मंडराता ही रहता है।
क्या सचमुच ज़रूरी है Homework ?
इस बारे में लोगों की राय में विरोधाभास अवश्य हो सकता है। हमारी स्वयं की राय में homework काफी हद तक important है। सिर्फ बोलने भर से नहीं , कुछ logical कारण भी समझ लीजिये।
- Homework से बच्चे में पढाई को लेकर discipline आता है।
- Rivision का best तरीका है।
- बच्चों में thinking, reading, writing जैसी skills को तराशने में मदद मिलती है।
- Homework,Teachers और Parents के बीच एक पुल का काम करता है।
- Homework के कारण बच्चों की पढाई–लिखाई को parents अपनी ज़िम्मेदारी भी मानते हैं न की सिर्फ स्कूल की।
हर सिक्के के दो पहलु होते हैं तो यह कैसे मुमकिन है की homework जैसे सर चकरा देने वाले शब्द में कोई कमी न हो। कहीं ऐसा तो नहीं की खूबियों से ज्यादा कमियां ही हों। आइये थोड़ी जांच –पड़ताल की जाए।
- बच्चों में अनचाहा डर पैदा करता है मसलन homework पूरा नहीं किया तो teacher डाँटेगी, ख़राब remarks दे देंगी वगैरह वगैरह। कुछ बच्चे तो केवल इसी कारण पढाई में पिछड़ते जाते हैं।
- कई बार teachers homework के बहाने अपनी ज़िम्मेदारी कम करने की कोशिश करते हैं। अक्सर देखने में आता है की सरल questions school में करवा के hard questions,homework के लिए दे देते हैं।
- पूरा दिन school में और घर पर homework निपटाने के चक्कर में बच्चों को खेल–कूद के लिए पर्याप्त समय ही नहीं मिल पाता है।
- Homework का भार कहीं न कहीं बच्चों को tution culture की तरफ धकेलता है।
- Parents को आज के ज़माने की पढाई से तालमेल बिठाने में परेशान करता है क्यूंकि तब की पढाई और अब की पढाई में ज़मीन –आसमान का फर्क हो गया है। नतीजतन छोटे बच्चों के माता –पिता के लिए homework करवाना रोज़ एक जंग जीतने जैसा ही है। ऊपर से दुनियां भर की other activities.
सौ बात की एक बात
हमने निष्पक्ष तरीके से homework से जुड़े अच्छे–बुरे पहलुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की है। पूरी सम्भावना है की कुछ बातें किसी को पसंद आएँगी तो कुछ किसी को नापसंद होंगी। यहाँ पर फर्क है तो केवल नज़रिये का। हमारा नजरिया स्पष्ट है की ‘ सौ बात की एक बात ‘ यही है की अति किसी भी चीज़ की नुकसानदायक होती है। फिर वह मीठा हो या नमकीन , हँसना हो या रोना,चलना हो या दौड़ना, homework का होना या फिर न होना।
बिना शक homework पढाई का important part होना ही चाहिए पर school और teachers को सोच–समझकर एक plan के तहत बच्चों की उम्र और class के अनुसार homework design करना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए की class का हर बच्चा, एक जैसी क्षमता का नहीं होता इसलिए homework उतना ही दिया जाना चाहिए जिसे करने पर बच्चा सुकून की सॉंस ले न की डर से मानसिक पीड़ा का शिकार हो जाये। बात छोटी सी लगती है पर बच्चों की नज़र से देखेंगे तो बहुत बड़ी और महत्व वाली है।
‘Homework is something to be inspired not assigned ‘
Joe Bower
Happy Parenting!