X-tra Curricular Activities का विद्यार्थी जीवन में योगदान
X-tra शब्द अक्सर हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ला देता है। पानीपूरी के साथ आखिर में extra पूरी लेना हो या फिर सब्ज़ी खरीदते वक़्त extra धनिया–मिर्ची का मिलना। इस X-tra की ख़ुशी ज़रा हटकर होती है। आपके या हमारे आस–पास कोई ना कोई बच्चा ऐसा दिख–सुन जाता है कि फलां बच्चे ने class में top किया है और वह किसी Sports team का Captain भी है। इतना ही नहीं वह गाना भी बहुत ही सुरीला गाता या गाती है। दूसरी ओर School या Colony में कोई ऐसा बच्चा भी है जिसने पढ़ाई में तो झंडे गाड़ दिए हों पर उसको दुनियादारी का ज्ञान ना हो। यहाँ गौर करने वाली बात यह है की दोनों ही बच्चे पढ़ाई में अव्वल हैं पर उनका व्यक्तित्व (personality) एक–दूसरे से बिलकुल विपरीत है। Top करने के बाद भी दूसरे बच्चे में सामाजिक कौशल की कमी है जो उसके संपूर्ण व्यक्तित्व विकास में बाधा बन खड़ी हुई है। बस यहीं पर पहले Topper विद्यार्थी ने उस X-tra का अपने जीवन में सही उपयोग किया। यह extra किसी भी रूप में हो सकता है। इन अतिरिक्त गतिविधियों को Extra Curricular Activities कहते हैं जो की Academic Knowledge से परे प्राप्त की गयी शिक्षा होती है।
‘ माँ का आँचल‘ का यह लेख पाठ्येत्तर गतिविधियों का विद्यार्थी जीवन में सकारात्मक योगदान पर प्रकाश डालेगा।
क्या होती हैं ECA पाठ्येत्तर गतिविधियां ?
Extra Curricular Activities यानी पाठ्येत्तर गतिविधियां मुख्य रूप से School के बाद पारम्परिक शैक्षिणिक पढ़ाई से परे अर्जित किया जाने वाला ज्ञान है। वर्तमान में ECA के कई विकल्प उपलब्ध हैं जैसे –
Swimming, Football, शतरंज या अन्य किसी प्रकार का खेल। Theatre , Drama, Painting चित्रकला, गीत–संगीत , Dance , Pottery , Gardening , Robotics, Volunteering, Book reading Club, Calligraphy और विभिन्न प्रकार के Indoor-Outdoor खेल आदि। यहाँ बताई गई कुछ पाठ्येत्तर गतिविधियां प्राचीन समय से चली आ रही हैं तो कुछ का प्रचलन कुछ साल पहले ही हुआ है। भविष्य में और भी बहुत कुछ नया आ जायेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि समय / युग कोई भी रहा हो अतिरिक्त गतिविधियों का प्रचलन किसी ना किसी रूप में हमारे समाज को सुदृढ़ बनाने में योगदान करता रहेगा।
छात्रों के जीवन में पाठ्येत्तर गतिविधियों का महत्व
छात्र जीवन नित नए चुनौतियों का सामना करता है। कहे –अनकहे challenges से सफलतापूर्वक निपटने के लिए किसी भी विद्यार्थी का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना अति आवश्यक है। जब छात्र किसी भी प्रकार की Group activity में शामिल होता है तो वह विभिन्न लोगों के संपर्क में आता है। उसे लोगों के भिन्न–भिन्न विचारों से प्रेरक सीख मिलती है। बच्चा Teamwork के साथ Problem-Solving की कला में भी निपुण बनता है। वह कहते हैं न ‘ चार बर्तन साथ होंगे तो आपस में तो टकरायेंगे ही ‘ आशय जब बच्चा किसी group का हिस्सा बनेगा तो उनमें विचारों का मतभेद होना स्वाभाविक है पर यहीं पर विद्यार्थी को मनभेद नहीं करते हुए संयमतापूर्वक अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने की सीख भी मिलती है।
- पाठ्येत्तर गतिविधि विद्यार्थी को समन्वय Co-ordination सिखाती है
बच्चा जब अकेले पढ़ाई करता है तो उसके एक –एक पल पर खुद का Control होता है। उसे किसी को भी किसी भी प्रकार का Explanation देने की आवशयकता नहीं होती है पर जब वह X-tra Curricular Activities join करता है तो उसे अधिक Discipline के साथ group के अन्य बच्चों के साथ सामंजस्य बना कर चलना होता है। केवल अपनी ही बात का राग ना अलापते हुए धैर्यपूर्वक (patience) दूसरों की बात को भी सम्मान देना सीखना होगा। ‘ Healthy Two Way Communication ‘ के साथ छात्र की Co-ordination Skills मजबूत बनती है।
- Time Management सीखता है
पाठ्येत्तर गतिविधियां छात्र को बड़े ही सुनियोजित तरीके से time management करना सिखा देती हैं। बच्चा सुबह उठकर नहा –धोकर School जाता है। लौट कर उसे Homework पूरा करना होता है। फिर अपनी चुनी हुई Extra Curricular Activity के लिए जाना है। वहां से लौट कर दोस्तों के साथ खेलना भी आवश्यक है और फिर खाना खाकर time पर सोना है जिस से नींद पूरी हो सके। इतना लम्बा –चौड़ा routine set करते –करते बच्चा समय के महत्व को भलींभाँति समझ जाता है। यहीं से उसके जीवन में समय–प्रबंधन (time management) की मजबूत नींव डल जाती है।
- विद्यार्थी की छुपी हुई प्रतिभा उजागर होती है
प्रत्येक बच्चा किसी ना किसी रूप में ख़ास होता है। उसके अंदर निश्चित रूप से ऐसी प्रतिभा होती है जो उसे बाकी बच्चों से अलग बनाती है। Extra Curricular Activity का सही चुनाव विद्यार्थी की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर करने में सहायक सिद्ध होती है। कई बार बच्चे को स्वयं के उस Hidden Talent का आभास ही नहीं होता शायद उसे एक मौके की दरकार होती है।
- आत्मविश्वाश Self Confidence को बढ़ावा मिलता है
School की regular किताबी पढ़ाई का प्रायः एक निश्चित pattern होता है। सभी छात्र Teacher के बताये उसी pattern को follow करते हैं। छात्र को अपना Talent दिखाने का मौका कम ही मिलता है। परन्तु इसके ठीक उलट पाठ्येत्तर गतिविधियों में बच्चे के लिए explore करने को बहुत कुछ होता है। वह अपने नए Ideas share कर सकता है। Painting , Acting, Dance , Sport किसी भी activity को चुनकर बच्चा अपना Personal Style develop कर सकता है। स्वर कोकिला ‘ लता मंगेशकर ‘ ने अपने मधुर गीतों से दशकों तक सुनने वालों का मन मोहा तो वहीँ उनकी ही सगी बहन ‘ आशा भोंसले ‘ ने अपनी मधुर आवाज़ को Cabre , Disco जैसे गीतों में पिरो कर अपना एक अलग Style बनाया। M.S Dhoni का Helicopter Shot उनकी पहचान बन गया तो Football Legend Christiano Ronaldo का ‘Free Kick Style ‘ हर footballer का सपना है। इन दिगज्जों का सफल Style धीरे–धीरे उनके Confidence को बढ़ाता चला गया और वह दर्शकों के दिलों पर छा गए। आत्मविश्वाश से भरपूर बालक / बालिका किसी भी कार्य को करने के लिए अधिक उत्साहित होते हैं।
- सामाजिक कौशल विकसित करने में सहायक
जीवन में हम जितने अधिक लोगों के संपर्क में आते हैं हमें उतना ही अधिक सीखने को मिलता है। विद्यार्थी जब कोई अतिरिक्त गतिविधि में भाग लेता है तो उसका मिलना–जुलना विभिन्न Background से आये सहभागियों से होता है। सभी का व्यवहार , रहन –सहन , बोलचाल , अलग होगा। ऐसे में छात्र के लिए नए विचारों के साथ Deal करना उसके सामाजिक कौशल Social Interaction Skills को बेहतर बनाने में मदद करता है। बच्चे के अंदर की झिझक ख़त्म हो जाती है और वह निडर होकर किसी से भी बात कर पाता है। Strong Social Skills का दूरगामी बेहतरीन फायदा बच्चे को बड़े होकर Job Circle में आने पर मिलता है।
- Stress Release तनाव मुक्त करता है
विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई का इतना अधिक बोझ होता है कि मासूम बच्चे School, Homework, Tuition के जंजाल में खुद को फंसा हुआ पाने लगते हैं। इतनी भागादौड़ी में थोड़ा ठहराव भी आवश्यक है। पढाई से परे यदि बच्चा किसी X-tra Curricular Activity का हिस्सा है तो वह ठहराव, दिमागी शान्ति के पल उसे यहाँ मिलते हैं। किसी को Drawing करने में आनंद आता है तो किसी को शतरंज खेल कर ख़ुशी मिल सकती है। थोड़ा ही सही पर वह पूरी तरह से बच्चे का Me Time होता है। यही Me Time , Stress Release करके नई ऊर्जा का संचार करता है और छात्र का मानसिक स्वास्थय ठीक रहता है।
पाठ्येत्तर गतिविधि का उचित चुनाव कैसे करें ?
Extra Curricular Activity का concept clear होने के बाद जो काम की बात ध्यान रखने वाली है कि सही पाठ्येत्तर गतिविधि का चयन कैसे किया जाए। आइये समझते हैं –
- चुने वही जिसमे रूचि हो
वर्तमान में पाठ्येत्तर गतिविधियों की भरमार है। जितने अधिक Option उतना ही अधिक confusion. Online-Offline , Indoor- Outdoor curricular activities की गिनती करना मुश्किल है। इस सब में चुनाव का सबसे सरल तरीका है ‘बच्चे की रूचि’। भेड़चाल में नहीं पड़कर यह समझने की कोशिश करें कि बच्चे की रूचि किस क्षेत्र में है। रूचि के अनुसार चुनाव करेंगे तो बच्चा दिल लगा कर activity को enjoy करेगा।
- Fees की पूछताछ के बाद ही चुनें
आज Extra Curricular Activities का भी एक व्यापक market बन गया है। एक ही तरह की activities के लिए ढेरों संस्थान मिल जायेंगे। सब खुद को best कहते हैं। किसी के कहने पर ना जाएँ बल्कि अपने Budget और पहूँच के अनुसार जांच–परख के चुनाव करें।
- थोड़ा हो पर बेहतर हो
Parents के सामने एक बड़ी दुविधा यह भी आती है कि वह बच्चे को किन –किन Activities में enroll कराएं। हो सकता है किसी activity में बच्चे को उसके दोस्त की company मिले तो कोई activity में बच्चे का interest हो। कोई activity Mental development में help करती है तो कोई Physical development में। ऐसे में एक साथ कई पाठ्येतर गतिविधियों का हिस्सा बनना तो संभव नहीं हो सकेगा। वह कहते हैं ना ‘ एक साथ दो नावों में पैर रखना ‘ खतरे की निशानी है। बस इसी सीख को मान कर चलिए और अपने बच्चे के लिए बहुत सारी नहीं , कम पर अच्छी Extra Curricular Activities पर focus करें।
- Trail Session ज़रूर लें
ECA की भीड़ में अपने बच्चे के लिए उपयुक्त गतिविधि का चुनाव करना मुश्किल task है। ऐसे में सबसे अच्छा विकल्प है Free Trail Sessions करना। आजकल लगभग सभी activities में कुछ दिन या एक हफ्ते का trail session offer करते हैं। यदि आप और बच्चा थोड़ा confuse हैं तो इसका फायदा अवश्य लें ताकि आप दोनों को idea मिल सके की बच्चे का interest उस activity में है भी कि नहीं। ऐसा करने पर Final Decision लेने में मदद मिलेगी।
सौ बात की एक बात
Extra Curricular activities किसी भी विद्यार्थी के जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। यह ना केवल किसी बालक या बालिका का अप्रत्यक्ष रूप से पढ़ाई के स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक होते हैं बल्कि उनके सोच–कौशल , सशक्त सामाजिक सामंजस्य एवं समग्र व्यक्तित्व विकास में भी योगदान देते हैं। सौ बात की एक बात यह है कि पाठ्येत्तर गतिविधियों का विद्यार्थी के जीवन में वैसा ही योगदान है जैसा खाना बनाने के लिए आवश्यक नमक–मिर्च, मसालों का। जिस प्रकार स्वादिष्ट भोजन नमक–मिर्च, मसालों के बिना फीका–फीका लगता है उसी प्रकार व्यक्ति की personality development केवल स्कूली शिक्षा से अधूरी है। संपूर्ण व्यक्तित्व विकास तभी संभव है जब बच्चे के life में बोल–चाल, उठना –बैठना, वाद–विवाद, खेल–कूद सबका उचित role हो। X-tra के पीछे भागे नहीं बल्कि उसे छात्र जीवन का हिस्सा बनाएं।
Happy Parenting!