बच्चों की सामान्य बीमारियों के अचूक घरेलू उपचार
बदलते मौसम और बदलते Lifestyle में ‘ बिन बुलाई बीमारियों ‘ से कब निपटना पड़ जाये यह पूर्णतः अनिश्चित होता है। घर में छोटे बच्चे हों तब तो माता–पिता को हर वक़्त Alert Mode में रहना ज़रूरी है क्योंकि उनकी एक आह से ही Mummy-Papa का दिल सहम जाता है। छोटे बच्चों वाले घरों में विभिन्न दवाइयों के Syrup दिख जाना सामान्य सी बात है। सर्दी– जुकाम का Syrup, पेट दर्द (Loose Motion) का Syrup, बुखार का Syrup आदि। माता –पिता को लगता है पता नहीं कहीं अचानक बच्चे की तबीयत ख़राब हो गयी तो पहले से ही spare में Medicines तैयार रखते हैं। अच्छी बात है , तबीयत बता कर तो ख़राब नहीं होती पर क्या हर छोटी – मोटी तकलीफ में बच्चों को Strong Medicines देना सही है ? हमारी सलाह है कि माँ –बाप बच्चों की सेहत से जुड़ी रोज़मर्रा की तकलीफों से निपटने के लिए सदियों से चले आ रहे दादी – नानी के घरेलू नुस्खों को आजमा कर ज़रूर देखें। यदि दो–तीन दिन में बच्चे को राहत ना मिले तो अवश्य ही Doctor से संपर्क करें।
‘ माँ का आँचल ‘के इस लेख में हम बच्चों की दिन–प्रतिदिन की तबीयत से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अचूक घरेलू उपायों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ध्यान दें कि कोई भी नुस्खा जादुई समाधान नहीं है। सजग रहकर घरेलू नुस्खों का रास्ता अपनाएं।
FLU – COLD , सर्दी – जुकाम होने पर यह काम आये
बच्चे को एक छींक आते ही माँ – बाप Clod-Cough Syrup ढूंढने लग जाते हैं। पर ज़रा ठहरिये और अपने Kitchen में रखे डिब्बों पर नज़र दौड़ाइए। वहीँ तो है ‘ प्राकृतिक उपचार का खज़ाना ‘।
- बच्चों की सुस्ती को चुस्ती में बदलने के लिए एक छोटे कप गुनगुने पानी में आधा चम्मच शहद (Honey) घोल कर पिलाएं। शहद में Anti Bacterial तत्व होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में सक्षम होते हैं।
- दो कप सादा पानी में अदरक (Ginger) या सोंठ का टुकड़ा डालकर पानी को तब तक उबलने के लिए छोड़ दें जब तक पानी पक कर आधा कप होकर काढ़ा का रूप न ले लें। ठंडा होने पर इस काढ़े को थोड़ा – थोड़ा करके बच्चे को दिन में दो – तीन बार पिलाएं।
- मुख्यतः सभी माता –पिता अपने बच्चों को दूध पिलाते हैं। सामान्य सर्दी–खांसी में बेहतर होगा आप गुनगुने दूध में ज़रा सी हल्दी मिलाकर बच्चे को दूध पीने को दें। यदि बच्चा हल्दी वाला दूध पीने में आनाकानी करे तो एक छोटी सी कटोरी में ज़रा से दूध में हल्दी मिलाकर पहले पीला दें और बाकी का दूध उसके बाद। हल्दी में कई औषधीय गुणों का समावेश है।
- बच्चों के बदन में दर्द और अकड़न बुखार आने से पहले का संकेत है। बुखार की मार से बच्चे को बचाने के लिए आप सरसों के तेल में तीन –चार लहसुन की कलियाँ डालकर गुनगुना करके बच्चे की छाती और पैर के तलवों पर सोने से पहले मालिश करके ढक कर सुलाएं। तेल लगाने से पहले Check कर लें ज़्यादा गर्म न हों। यह नुस्खा शरीर में रात भर गर्मी का संचार करके सुबह तक सिहरन से राहत देगा।
- साधारण समझा जाने वाला नुस्खा पर बड़े ही काम का है ‘ गर्म पानी का भांप लेना ‘। पतीले में गर्म पानी रख कर तौलिये से सर ढक कर बच्चे को अपनी निगरानी में भांप दिलवाएं। सरल रास्ता अपनाना हो तो आजकल Market में अच्छे Nebuliser Machine उपलब्ध हैं जो सीधा नाक में भांप पहुंचाते हैं। यह खरीदना थोड़ा महंगा पड़ सकता है पर एक बार खरीद लिया तो बच्चे–बड़े दोनों इस्तेमाल कर सकते हैं।
दस्त (LOOSE MOTION) , उल्टी होने पर पाचन–तंत्र को ऐसे सुधारें
दस्त और उल्टी किसी के भी शरीर को तोड़ कर रख देता है। यदि बच्चे को हो जाये तो उपचार में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। Hard दवाइयों से दूरी बनाकर पहले कुछ घरेलू उपचार अवश्य करें।
- पेट खराब होने पर बार–बार Washroom जाने से शरीर में पानी की कमी के कारण Dehydration हो जाता है। कोई भी उपचार करने से पहले सबसे ज़रूरी है शरीर में पानी का उचित संतुलन बना कर रखना। बच्चे को पानी पिलाते रहे।
- पका हुआ केला खिलाएं। पके केले में प्राकृतिक मिठास होती है जो शरीर में तुरंत ऊर्जा का संचार करके पाचन – क्रिया को Balance रखता है। केला शरीर में Vitamin-C, Magnesium, Potassium पहुँचाने का श्रेष्ठ स्रोत है। प्रतिदिन एक केला बच्चे–बड़ों सभी को खाना चाहिए।
- बच्चे को ठंडी तासीर वाली चीज़ें खिलाएं। ताज़ा दही, खीरा, तरबूज़, खरबूजा खिलाने से पेट की गर्मी शांत होती है और मांस–पेशियों का खिंचाव सामान्य होकर जी मिचलाना बंद हो जाता है। हाँ मगर ठंडे –गरम मौसम के अनुसार Diet में इनका उपयोग करें।
- सादे पानी में नमक – चीनी का घोल बना कर बच्चे को दिन भर में चार–चार चम्मच पिलाएं। यह ORS(Oral Rehydration Solution) की भाँती काम करेगा।
WORM INFECTION पेट के कीड़ों से छुटकारा
बच्चों के पेट में कीड़े पड़ना आम बात है पर मुश्किल तब हो जाती है जब वह कीड़े बच्चे की आंत में अपना घर बनाने का प्रयास करने लगें। यहीं से बच्चों को पेट दर्द की समस्या शुरू होती है। इसलिए कीड़ों की No Entry करना आवश्यक है।
- कद्दू सब्ज़ी का हमेशा ही मज़ाक बनता चला आया है पर क्या आप जानते हैं की कद्दू के बीज कितने प्रभावशाली होते हैं। संतुलित मात्रा में कद्दू के बीज (Pumkin Seeds) खाने से पेट के कीड़ों का खुद ब खुद खात्मा हो जाता है क्यूंकि इनमें Cucurbitacin होता है जिसके परजीविरोधी (Antiparasitic) लक्षण कीड़ों के लिए पीड़ादायक होते हैं।
- Carrom Seeds अजवाइन के साथ चुटकी भर काला नमक मिलाकर खाने से पेट के कीडों का नाश हो जाता है साथ ही पाचन शक्ति भी मजबूत बनती है।
- यह नुस्खा बच्चों पर आजमाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्यूंकि सामान्यतः बच्चे इसका नाम सुनते ही नाक– भौं सिकोड़ने लगते हैं। हम बात कर रहे हैं लहसुन की। लहसुन (Garlic) में Antibacterial, Antifungal, Antiseptic औषधीय गुण होते हैं जो पेट के कीड़ों पर ज़ोरदार मार करते हैं। रोज़ सुबह खाली पेट लहसुन के दो दाने यदि बच्चा नियमित रूप से चबाए तो निश्चित रूप से उसके पेट के कीड़े समाप्त हो जायेंगे।
- भारतीय खड़े मसालों के कहने ही क्या ! यह खाने का स्वाद तो बढ़ाते ही हैं साथ ही उनके औषधीय गुण उनकी लोकप्रियता को देश–विदेश तक पहुंचा चुके हैं। ऐसा ही एक मसाला है ‘ लौंग‘ । लौंग का तेल दांत दर्द में राहत पहुँचाता है यह लगभग सबको पता होता है पर बच्चों के पेट के कीड़ों से दो–दो हाथ करने में भी लौंग का जवाब नहीं है। लौंग (Clove) के कुछ कलियाँ पानी में डालकर उबाल कर उस पानी को बच्चे को पिलाने से पेट के कीड़े छटपटा कर दम तोड़ देंगे।
- पका पपीता खाने में स्वादिष्ट लगता है पर क्या आप जानते हैं कि कच्चे पपीते में पाया जाने वाला ‘Enzyme Papain’ Infection को दूर करके पेट के कीड़ों को नष्ट करने में भी उपयोगी होता है। आप बच्चे को कच्चे पपीते का Juice बना कर दे सकते हैं या फिर सलाद की तरह से बारीक–बारीक काट कर। हो सकता है बच्चे को Taste अच्छा न लगे इसलिए थोड़ा तिकड़म लगा कर उसे खिलाएं.
घरेलू उपचार के लिए रसोई में ज़रूर रखें यह चीज़ें
- लौंग Clove
- इलाइची Cardamom
- सोंठ Dry Ginger
- हींग Asafoetida
- हल्दी Turmeric
- सौंफ Fennel
- शहद Honey
- काला नमक Black Salt
- अदरक Ginger
- लहसुन Garlic
- सरसों का तेल Mustard Oil
- दही Curd
- अलसी के बीज Flax Seeds
- कद्दू के बीज Pumpkin Seeds
सौ बात की एक बात
बड़े हो या बच्चे तबीयत ख़राब होने पर सुस्ती आना, ज़रा–ज़रा सी बात पर मन चिड़चिड़ा हो जाना सामान्य मनोभाव है। बड़े तो फिर भी मन बहलाने के लिए अपने पसंद की Activity में खुद को Busy कर लेते हैं और तबीयत से ध्यान भटक जाता है पर मासूम बच्चों के लिए तबीयत भारी होना काफी मुश्किल भरा समय होता है। ऐसे में माता–पिता का थोड़ा अधिक प्यार–दुलार,उनका स्पर्श बच्चे को दर्द भुलाने में मदद करता है पर दर्द से छुटकारा तो दिलाना ही पड़ेगा। आसान सा तरीका Doctor को दिखाओ और दवाई देकर फुर्सत हो जाओ पर लम्बे समय में लगातार दवाइयों का सेवन जाने–अनजाने Side Effect छोड़ जाते हैं। इसलिए माता–पिता को चाहिए कि समय रहते अपने बच्चे के स्वास्थ्य का आंकलन करते हुए ऊपर सुझाये गए घरेलू उपायों को आजमाएं। आख़िरकार पुराने ज़माने में जब बड़े–बड़े Doctors नहीं हुआ करते थे तब अनुभवी वैध जी अपनी प्राकृतिक औषधियों से ही बच्चे–बड़ों का इलाज किया करते थे।
परन्तु सौ बात की एक बात यह है की घरेलू इलाज का सहारा तभी तक लें जब तक बच्चे की बीमारी गंभीर ना हो। यदि दो–तीन दिनों में बच्चे को तकलीफ से आराम न मिले तो बिना समय गंवाए Doctor / Paediatrician से संपर्क करें। ज़रा सी चूक गंभीर बीमारी में कब बदल जाये इसका आंकलन ‘हम और आप‘ नहीं कर सकते। यह ज़िम्मेदारी विशेषज्ञ को ही लेने दीजिये।
‘ माँ का आँचल ‘ Doctor का काम नहीं करना चाहता पर माता–पिता को सरल घरेलू उपायों से परिचित करा के रात – बिरात बच्चे की तबीयत ख़राब होने पर उनकी समस्या हल करने की मंशा रखता है जो नुकसानदायक नहीं होंगे। संशय होने पर अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें। इस लेख ने आपकी कुछ मदद की हो तो Parenting से जुड़े हमारे दूसरे Articles को भी पढ़िए , आप निराश नहीं होंगे. धन्यवाद् !
Happy Parenting!