जुड़वा बच्चों की परवरिश की चुनौतियाँ
‘’ Side by Side or Miles Apart, TWINS will be Connected by HEART ‘’
‘’राम और श्याम, सीता और गीता, किशन– कन्हैया, चालबाज़ और जुड़वा’’ शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने भारतीय सिनेमा जगत की इन ICONIC फिल्मों को ना देखा हो। यह सभी फिल्में जुड़वा बच्चों के जीवन पर आधारित हैं जिन्होंने दर्शकों को ना केवल खूब हंसाया बल्कि उन बच्चों के बीच के भावनात्मक संबंधों को भी बखूबी दर्शाया। हालांकि फिल्में तो फिल्में होती हैं उनमें वास्तविकता से अधिक कल्पनात्मक चरित्र होते हैं।
परन्तु ‘ माँ का आँचल ‘ अपने इस लेख में कल्पनात्मक नहीं सौ प्रतिशत ‘ सत्य और वैज्ञानिक ‘ आधार पर जुड़वा बच्चों की परवरिश को लेकर माता–पिता Twin Child Parent के सुखद एवं चुनौतीपूर्ण अनुभवों से कुछ सीख साझा करने प्रयास करेगा। मातृत्व जीवन का सफर सदैव ही अनोखा होता है पर जुड़वा बच्चों का पालन–पोषण दोहरी ज़िम्मेदारियों के साथ शुरू होता है। जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को हमारा ‘ सलाम ‘ है।
जुड़वा बच्चों के पीछे का विज्ञान SCIENCE क्या है ?
पुराने ज़माने के लोग हर असामान्य गतिविधि को चमत्कार या फिर समस्या से ही जोड़ कर देखते थे। देखा जाए तो इसमें उनका उतना भी दोष नहीं है क्यूंकि तब हमारे देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तथ्यों का उतना प्रचार–प्रसार नहीं हुआ करता था। किन्तु 20वीं सदी में ऐसा सोचना मूर्खता ही होगी। सीधी सी बात है मनुष्य प्रजाति को आगे बढ़ाने के लिए संभोग और प्रजनन पूर्ण रूप से जैविक प्रक्रिया है तो जुड़वा बच्चों का जन्म अलग कैसे हो सकता है। यह जानना आवश्यक है कि जुड़वा बच्चों के होने का श्रेय मुख्य रूप से स्त्री के आनुवंशिक लक्षणों GENES को जाता है। Wikipedia के अनुसार –
‘ गुणसूत्रों पर स्तिथ D.N.A की बनी अति सूक्ष्म रचनाएं जो आनुवंशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण करती हैं, GENES कहलाती हैं ‘।
विज्ञान के अनुसार संभोग SEX के दौरान एक बार में मिलियन Sperm स्त्री के अंडाशय OVARY में जाते हैं। इनमें से अधिकतर Sperm Ovary में पहुँचने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं पर जो स्पर्म ओवरी में सही जगह पर स्थान बना लेते हैं उनके FERTILIZE होने पर गर्भधारण होता है। यह तो बात हुई सामान्य गर्भधारण प्रक्रिया की पर जब एक से अधिक अंडे सक्रिय ACTIVE हो जाते हैं या फिर एक ही अंडा दो अलग–अलग भागों में बाँट जाता है तो दो भ्रूण का विकास होता है जिससे दो प्यारे – प्यारे जुड़वा बच्चों का जन्म होता है।
जुड़वा बच्चों के प्रकार
फिल्मों में हूबहू दिखने वाले जुड़वा बच्चों की COMEDY देखने में बड़ा मज़ा आता है पर क्या आप जानते हैं कि सारे जुड़वा बच्चे एक ही शक्ल–सूरत के नहीं होते। TWINS में समानता या असमानता उनकी पैदाइश से पहले गर्भधारण के समय ही निश्चित हो जाती है। गर्भधारण की परिस्तिथियों के आधार पर वैज्ञानिक स्तर पर जुड़वा बच्चों को मुख्यतः दो प्रकारों में बांटा गया है।
1.असमान (FRATERNAL-DIZYGOTIC)
गर्भधारण के समय जब दो अलग–अलग अंडे भिन्न–भिन्न शुक्राणुओं द्वारा निषेचित होते हैं तो वह साथ–साथ किन्तु असमान दिखने वाले जुड़वा बच्चों के रूप में जन्म लेते हैं। विश्व में जुड़वा बच्चों के इसी प्रकार की जनसंख्या अधिक है।
2.समान (IDENTICAL-MONOZYGOTIC)
जब एक ही निषेचित अंडा स्त्री के गर्भ में जाकर दो भागों में बंट जाता है तो एक समान IDENTICAL दिखने वाले जुड़वा बच्चों का जन्म होता है। एक और रोचक बात यह भी है कि इन जुड़वा बच्चों का लिंग बिना संशय एक ही होता है यानी लड़का–लड़का या फिर लड़की–लड़की। ऐसे जुड़वा बच्चे कम देखने को मिलते हैं। आप ऐसे बच्चों को हिंदी फिल्मों के जुड़वा बच्चों से Relate करके समझ सकते हैं। समान और असमान के अतिरिक्त भी अन्य जुड़वा बच्चे हो सकते हैं पर उनकी पैदाइश Biologically Rare Condition होता है।
जुड़वा बच्चों से जुड़े रोचक तथ्य
- विश्व में सबसे अधिक जुड़वा बच्चे पैदा होने का आंकड़ा West Africa के Benin बेनिन शहर के नाम दर्ज है और सबसे कम जुड़वा बच्चों की गिनती Vietnam की है।
- भारत में केरल राज्य KERALA के कोडिन्ही गांव KODINHI में 400 जोड़ी , जुड़वा बच्चों के होने का रिकॉर्ड दर्ज है। लगभग केवल 2000 परिवारों में जुड़वा बच्चों के ऐसे आश्चर्यचकित आंकड़ों के पीछे के वैज्ञानिक कारण Theory को समझने का प्रयास Doctors और Scientific Community में आज भी जारी है।
- MRI Scanning में यह विचित्र तथ्य देखने को मिले हैं कि जुड़वा बच्चे माँ के सीमित गर्भ में अपनी–अपनी जगह के लिए एक–दूसरे से हल्की –फुल्की लड़ाई करते हैं।
- जुड़वा बच्चे प्रायः अपने बाएं हाथ का प्रयोग करते हैं।
- जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली माँ को अन्य माँ की अपेक्षा अधिक भूख लगती है।
- जुड़वा बच्चों के जन्म के समय में मिनटों से घंटों तक का फर्क हो सकता है।
- शोध में पाया गया है कि जुड़वा गर्भ के अंदर 14 हफ़्तों के भीतर ही एक–दूसरे से बातचीत और छूने का प्रयास करने लगते हैं। शायद यही कारण है कि वह जन्म पश्चात भी जीवन भर एक–दूसरे से विशेष भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं।
हम सभी अपनी Life में कभी न कभी किसी जुड़वा बच्चों के संपर्क में अवश्य ही आए होंगे। वह पल निश्चित रूप से रोमांच व जिज्ञासा से भरपूर रहा होगा। किन्तु क्या जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली माँ के लिए भी गर्भधारण से बच्चे के जन्म और फिर उनकी परवरिश करना भी उतना ही रोमांचक होता है। उस माँ के लिए रोमांच से परे दो बच्चों की एक साथ दुगुनी ज़िम्मेदारी उठाना Tough Challenge के रूप में दस्तक देता है। एक बच्चे को 9 महीनों तक संयम और सावधानी के साथ गर्भ में सुरक्षित रखना किसी भी माँ के लिए दुनिया का सबसे कठिन काम होता है। तो जुड़वा बच्चों के भार को नन्हे से गर्भ में सुरक्षित रखने की पीड़ा की तो हम और आप केवल कल्पना ही कर सकते हैं।
‘माँ का आँचल’ का उद्देश्य सभी TWIN CHILD PARENT माता–पिता का व्यावहारिक रूप से सहायता करने का है जिससे वह अपने उस विशेष पल और स्वयं के ऊपर आने वाली दुगुनी ज़िम्मेदारियों को सरलता से निभाने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो सकें। तो आइये जुड़वा बच्चों के परवरिश से सम्बंधित संकलित की गई अधिक से अधिक जानकारी GUIDELINES के ज़रिये जुड़वा बच्चों के माँ–बाप के संघर्ष को सरल बनाने का प्रयास करते हैं।
- जुड़वा बच्चों की माँ सबसे पहले अपना दुगुना ख्याल रखे
माँ चाहे कितनी ही थकी हुई क्यों न हो वह अपने बच्चों के प्रति अपना कर्तव्य नहीं भूलती। बच्चों का लालन–पालन ,उनका खान–पान ,उनकी सेहत हमेशा ही हर माँ का सर्वोपरि प्राथमिकता होती है। माँ की तो पूरी दुनिया ही अपने बच्चे के इर्दगिर्द घूमती रहती है। ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दब कर वह या तो अपना ख्याल रखना भूल जाती है या फिर चाह कर भी नहीं रख पाती। एक बच्चे की माँ का मातृत्व जीवन कितनी ही चुनौतियों से भरा होता है तो यहाँ तो उसे दोहरी ज़िम्मेदारियों की जंग जितनी है। इस लिए हमारी गुज़ारिश है कि जुड़वा बच्चों की माँ, मन को थोड़ा कड़ा करके घर–परिवार, दीन–दुनिया की बाकी सारी चिंताओं को किनारे करके सबसे पहले अपना खुद का ख्याल रखें। समय पर खाना खाएं, उचित नींद ज़रूर लें, अच्छे कपड़े पहने और संभव हो सके तो थोड़ा अपना ME TIME ज़रूर निकालें। हमें पता है दो–दो बच्चों के साथ इतना करना आसान नहीं है पर जितना हो सके करें। वह कहते हैं न ‘ मन चंगा तो कठौती में गंगा ‘। आपका स्वस्थ तन–मन दुगुनी ऊर्जा के साथ बच्चों की देखभाल कर सकेगा।
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प्रसव से पहले ही आवश्यक तैयारियां कर लें
Gynaecologist द्वारा यदि निश्चित कर दिया गया है कि आप जल्द ही जुड़वा शिशुओं के माता–पिता बनने वाले हैं तो समय रहते बच्चों के जन्म पश्चात् की आवश्यक तैयारियां कर लेनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर उनके लिए मुलायम कपड़े (यदि आपके यहाँ नवजात को नए कपड़े पहनाने का चलन नहीं हैं तो किसी और माँ से पुराने कपड़े ले सकते हैं) दूध की Bottles (Infection से बचने के लिए हमेशा नई प्रयोग करें), सामान्य से थोड़ा बड़ा पालना COT (जुड़वा बच्चों को जन्म पश्चात एकदम से अलग–अलग रखना उनके भावनात्मक जुड़ाव को ठेस पहुंचा सकता है ) Paediatrician की सलाह पर कोई FORMULA MILK (यह माँ की सेहत पर Extra Feeding के बोझ को थोड़ा कम कर सकता है )
हम यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि TWIN CHILD PARENT को बच्चों से जुड़ी चीज़ों माँ अंबार नहीं लगाना है बल्कि सुझाई गयी आवश्यक चीज़ों की ही Shopping करें। वह भी इसलिए क्युंकि Delivery से पहले माँ–बाप दोनों के पास सही सामान Select करने के लिए एक–दूसरे का साथ और समय मिलेगा। शिशुओं के जन्म के तुरंत बाद माँ के पास खरीदारी के लिए समय निकालना संभव नहीं होगा। ONLINE SHOPPING भी बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
- माता–पिता दोनों सामंजस्य बिठा कर बच्चों के भावी पालन–पोषण पर POSITIVE DISCUSSION करें
Parents यदि समय रहते समय का सदुपयोग करेंगे तो निकट भविष्य में ज़िम्मेदारियों के बढ़ने पर दोनों खुद को अनावश्यक तनाव से बचा सकेंगे। बच्चे एक हो या दो, उनकी ज़िम्मेदारी माँ – बाप की समान रूप से होती है। अच्छा होगा यदि जुड़वा बच्चों का संकेत मिलते ही Future Parents जितना हो सके साथ बैठ कर आने वाले सभी Possible मुद्दों पर बातचीत करें। बच्चों से जुड़े Routine Task के लिए अभी से एक सुनियोजित योजना Schedule बना लें जिस से आगे चल कर आप दोनों एक–दूसरे पर आरोप–प्रत्यारोप ना करके खुद को तकलीफ मुक्त रख सकेंगे। आपका ध्यान बेमतलब की बातों पर न जाकर बच्चों पर Focused रहेगा। WORKING PARENTS के लिए बहुत ज़रूरी है कि Parents एक–दूसरे की सहूलियत को देखते–समझते हुए अपने–अपने ऑफिस में पहले से निश्चित की गयी छुट्टियों के लिए Apply कर दें।
- सलाह लेने में संकोच ना करें
जुड़वा बच्चों की देखभाल करते वक़्त कई बार ऐसी चुनौतियों का सामना भी पड़ सकता है जिनके बारे में माँ–बाप ने शायद कभी कल्पना भी ना की हो। यकीन जानिए थका हुआ शरीर और दिमाग कभी–कभी काम करना बंद कर देता है। ऐसे में Twin Child Parents के लिए Best होगा यदि वह अपने आस –पास में पहले से जुड़वा बच्चों के माँ–बाप से उनकी दिनचर्या, दो बच्चों के पालन–पोषण के दौरान आती हुई समस्याओं और उनके समाधान पर कुछ सलाह–मशवरा करें। दुखी होकर सब अस्त–व्यस्त होने से तो अच्छा है किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह ले ली जाए।
- दोनों बच्चों के DAILY ROUTINE की पूरी PLANNING करें
दोनों बच्चों के इस दुनिया में आने के 2-3 दिनों के अंदर ही उनकी ज़रूरतों मसलन उनकी भूख–प्यास, सुसु–पॉटी ,सोना–जागना का एक Basic Idea माँ को लग जाता है। यही सही समय है जब माता–पिता को दोनों बच्चों की आवश्यकताओं का मिलान करते हुए TWIN BABIES के लिए एक निश्चित दिनचर्या Schedule Set कर देना चाहिए। फिर जितना हो सके उसी Routine को Follow करें। ऐसा करने से जच्चा–बच्चा दोनों को आराम करने का उचित समय मिल सकेगा।
- अपने FINANCE को जुड़वा बच्चों के अनुसार व्यवस्तिथ कर लें
किसी भी स्त्री–पुरुष के जीवन का सबसे सुनहरा दिन वह होता है जब उनका जीवन, उनका घर नन्ही किलकारियों से गूंज उठता है यानी वह माता–पिता बन जाते हैं। Twin Child Parent जीवन के इन मासूम पलों को खुल कर जी सकें उसके लिए ज़रूरी है कि वह अपने Finances को भी आने वाली ज़िम्मेदारियों के अनुरूप दुगुना सेट कर ले। बच्चों की पैदाइश के साथ ही कहे–अनकहे खर्चों की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, इस बात को नज़रंदाज़ करने की गलती ना करें। बच्चों की Important Shopping Needs के अलावा भी कम से कम साल भर तक के अन्य खर्चों का आंकलन करके उतने पैसे अलग से किसी Account में Safe रखें जिन्हें आप कहीं और खर्च न करें। रोज़मर्रा के बाकी खर्चों में आप कटौती कर सकते हैं पर बच्चों के लालन–पालन में कटौती करना उचित नहीं होगा। बच्चों के शुरुआती खर्चों की QUICK LIST पर भी एक नज़र डाल लीजिये –
Normal Delivery / Cesarean Delivery, कपड़े, पालना Cot, पाउडर, तेल, साबुन, दवाइयां, टीकाकरण Vaccinations, छह महीने का होने पर उनके ठोस आहार की Special Needs. कुछ लोग इस List से नाखुश हो सकते हैं कि अपने बच्चे पर होने वाले खर्चे ऐसे कौन गिनता है ‘ सब Manage हो जाता है ’। पर सोच कर देखिये अगर ‘ सब Manage हो जायेगा ‘ की जगह Parents पूरे विश्वास से यह कहें कि ‘ सब Manage कर लिया है ‘। ज़रा सी ‘ सोच और समझदारी ‘ का फर्क है दोनों बातों के बीच।
- TWINS के नाम की भी TWINNING करें
वह Parents जो अभी तक लड़का या लड़की के एक सुन्दर से नाम की खोजबीन कर रहे थे उन्हें अब एक नहीं दो प्यारे और अर्थपूर्ण नाम की खोज शुरू कर देनी चाहिए। जुड़वा बच्चे अपने आप में ही खास होते हैं तो फिर उनके नाम भी सबसे अलग तो होने ही चाहिए। कुछ UNIQUE TWIN नाम जो आपको और उन्हें SPECIAL होने का एहसास पूरी LIFE करा सके। जब कोई उनका नाम पुकारे तो एक सामंजस्य दिखना चाहिए। पर याद रखे ऐसा नाम भी न हो जो बच्चों को लोगों के बीच मज़ाक का मुद्दा बनने दे। लाड–प्यार में आप ज़रूरत से ज़्यादा मिलान वाले नाम तो रख देंगे पर घर के बाहर आपके दोनों बच्चों को लोगों को Face करना है। नाम व्यक्ति की पहली पहचान होता है इसलिए सोच–समझकर चुनाव कीजिएगा। यहाँ भी वही बात लागू होती है कि डॉक्टर का इशारा मिलते ही TWINS के नाम ढूंढ़ना शुरू कर दीजिये। ‘ माँ का आँचल ‘ पाठकों के लिए कुछ बेहतरीन नाम सुझा रहा है। आशा है किसी Twin Child Parent के काम आ जाए या पाठक किसी और को Suggest कर सकते हैं।
- सुहानी और रूहानी
- दिव्या और काव्या
- प्रीति और नीति
- काजल और सेजल
- प्रज्जवल और काजल
- विराट और विरेश
- अयांश और क्रियांश
- कृष्णा और कान्हा
- अनम और सनम
- इनाया और शनाया
हमने जुड़वा बच्चों के नामों की एक अर्थपूर्ण सीमित सूची सुझाई है। पाठकों से निवेदन है यदि आपके दिमाग में जुड़वा बच्चों के लिए कोई अन्य अच्छे नाम हो तो बिना झिझक COMMENTS में SHARE करें। हो सकता है आपके ज़रिये किसी की मदद हो सके।
सौ बात की एक बात
गर्भधारण करते ही महिला का जीवन अद्भुत समय चक्र में प्रवेश करता है। प्रत्येक दिन नए अनुभव और नई चुनौतियां लेकर आता है और साथ में माँ के लिए लाता है ख़ुशी , थकान , चिड़चिड़ापन , हार्मोनल बदलाव , MOOD SWINGS , MULTI TASKING. बात यहाँ जुड़वा बच्चों की हो रही है तो यह सारे भाव माँ को दुगुने रूप में मिलते हैं। दोगुनी ख़ुशी, दुगुना थकान, दुगुना चिड़चिड़ापन और दुगुनी चुनौतियां। एक अकेली स्त्री के लिए अचानक से सब कुछ बदल जाता है। कभी वह मन ही मन दो–दो बच्चों के लिए अनेकों सपने संजोने लगती है तो कभी उसका मन अंदर ही अंदर कई शंकाओं से घबराने लगता है। उसके जीवन में आए इस बदलाव को सरलता से अपनाने में पति और परिवार की अहम भूमिका होती है। TWIN PREGNANCY में गर्भवती महिला के लिए तीसरी तिमाही TRIMESTER का समय विशेष रूप से नाजुक होता है। इस समय शरीर के अंदर तेज़ी से अनेकों बदलाव होना शुरू हो जाते हैं। माँ के अंतर्मन की उथल–पुथल भी अपने चरम स्तर पर होती है जिसे केवल वही समझ सकती है। यही वह समय भी है जब माँ को अपनी भावनाओं को सही दिशा में निर्देशित करना होगा। हम यह भी जानते हैं कि बोलने और करने में ‘ज़मीन और आसमान’ का फर्क होता है। पर यकीन जानिए ‘माँ का आँचल‘ भी इन सारे मनोभावों से गुज़र चुका है, समझता है गर्भावस्था स्त्री के जीवन का सबसे कठिन समय होता है किन्तु जैसे सूर्य की पहली किरण नई ऊर्जा लेकर आती है उसी प्रकार जब आपके जीवन में नन्हे कदम दस्तक देंगे तो आपका जीवन उनकी किलकारियों से प्रफुल्लित हो उठेगा। इसीलिए हम तो यही कहेंगे कि सौ बात की एक बात यही है कि अपनी ‘स्त्री शक्ति’ को पहचाने और पूरी हिम्मत के साथ अपने पति एवं परिवार के साथ मिलकर जुड़वा बच्चों के रूप में अपने जीवन की सबसे बड़ी भेंट को खुले मन से स्वीकार करने के लिए ‘मातृत्व शक्ति‘ को सक्रिय करें। ‘माँ का आँचल ‘ जुड़वा बच्चों की सभी माँ को उनके असीम सहनशक्ति, प्यार और समर्पण को पूरे दिल से फिर से ‘सलाम ‘ करता है। हमारी शुभकामनाएं स्वीकार करें।
Happy Parenting 😊