Exam Fever Don’t Worry Dear
Fear यानि डर ऐसा शब्द जो हर कोई अपने जीवन में कभी न कभी , किसी न किसी रूप में हर कोई महसूस करता ही है। जब बात बच्चों की हो तब तो fear रोज़ surprise की तरह आ खड़ा होता है। गए वह दिन जब घर के दो –तीन बच्चे भी स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करके कब collage में पहुँच जाते थे पता ही नहीं चलता था। आज के ज़माने में तो बच्चे ने school जाना शुरू किया नहीं की पढाई, parents के लिए एक जंग का रूप ले लेती है। ऊपर से नए ज़माने में Exam time के साथ एक और शब्द जो प्रचलित हो चला है वह है Exam fever !
हम आज के ब्लॉग में अपने प्यारे पाठकों के साथ exam fever की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करेंगे।
क्या होता है Exam fever ?
Simple साधारण भाषा में कहा जाये तो हर साल exam के साथ free package में मिलने वाली चीज़ है Exam fever! आपका बच्चा किसी भी क्लास में हो, छोटा हो या बड़ा, exam का नाम उसे कम – ज़्यादा डराता ज़रूर है। इस डर के कई रूप हो सकते हैं। किसी student के पेट में दर्द हो सकता है तो किसी का खाने –पीने तक का मन नहीं करता। बच्चे का कोमल मन एग्जाम आते ही ढेरों सवालों के असमंजस में फँस जाता है। मसलन –
1.Exam में कैसे question आएंगे ?
2.जो मैंने नहीं पढ़ा वही question आ गया तो ?
3.आते हुए भी मैं सारे question ,time पर कर पाउँगा / पाऊँगी की नहीं ?
4.Paper ख़राब हुआ तो mummy-papa क्या कहेंगे ?
सामान्य से दिखने वाले यह प्रश्न कई बच्चों के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं। अपने बच्चे को चिंता में घिरा देख माता –पिता कैसे relax रह सकते हैं। तो क्या exam fever से निपटने का कोई रास्ता नहीं है।जवाब है‘ बिलकुल है’ तो चलिए आज हम कुछ ऐसे कारगर तरीके आपसे साझा करेंगे जिनके बाद student और parents दोनों कहेंगे Exam Fever Don’t Worry Dear !
हम सभी parents ने ज़िन्दगी में कभी न कभी वह मशहूर कहावत तो सुनी ही होगी ‘ अब पछताए क्या होत , जब चिड़िया चुग गयी खेत ‘ . इसका अर्थ भी हम में से ज्यादातर को पता ही होगा की जब समय हाथ से निकल जाता है तो किसी बात के लिए रो – धोकर भी कोई फायदा नहीं होने वाला। बस यही बात आपको अपने बच्चों को भी समझनी है की home study के लिए exam के आने का wait नहीं करना है। रोज़ाना नियम से घर पर थोड़ी– थोड़ी पढाई की जाये तो exam fever उनके आस –पास फटकेगा भी नहीं।
- Short time के लिए short notes बनाना
जब भी आपका बच्चा दिल लगा कर पढाई कर रहा है उसी समय वह syllabus के हिसाब से short notes लिखता चला जाये ताकि exam से पहले फटाफट revision हो सके। लम्बे उत्तर revision में अधिक समय लेते हैं। Short notes , quick learning में काफी help करते हैं। बच्चा primary में हैं तो आप भी उसके लिए important notes बना सकते हैं।
Exam को easy बनाने के लिए exams के कुछ हफ्ते पहले practice paper solve करवाना शुरू करवा दें।थोड़ा एक्स्ट्रा टाइम लगाकर बच्चे खुद ही अपना practice paper बना सकते हैं या फिर आप online practice books खरीद लीजिये। Best होगा कि बच्चे के syllabus के मुताबिक आप खुद practice paper तैयार करें। Revision करने का इस से best method हमारी नज़र में तो कोई और नहीं है। इस तरीके से बच्चे की writing speed और time management भी हो जाता है। कई बार ऐसा होता है की बच्चे कुछ questions आते हुए भी सिर्फ time कम होने के कारण नहीं करते हैं जिसका उन्हें बाद में अफ़सोस होता है।ऐसे ही थोड़े कहा जाता है ‘Practice makes a man perfect ‘
- अच्छा खाना और अच्छी नींद
‘ Healthy body और healthy mind ’ का good sign अच्छा खाना और अच्छी नींद हैं। एक के बाद एक exams देते– देते बच्चे का दिमाग और शरीर दोनों बुरी तरह थक जाते हैं जो कि बच्चों में चिड़चिड़ेपन का कारण बन सकते हैं। मन और चित्त को शांत रखने के लिए आवश्यक है बच्चों का आहार पोषण से भरपूर और हल्का हो। इस बात का ध्यान वैसे तो हमेशा ही रखना चाहिए पर परीक्षा के समय इसका अतिरिक्त महत्व है।
- डाँट –फटकार नहीं , प्यार और विश्वास जताए
हम और आप जब छोटे थे और exam ख़राब होने पर parents से डाँट पड़ जाए तो कैसा लगता था। जाहिर है दिल और हिम्मत दोनों ही टूट जाते थे। मुमकिन है कुछ माता–पिता अपने बच्चों को आने वाले papers के लिए प्यार से हिम्मत भी बढ़ाते होंगे। इस दूसरे रास्ते को अपनाने के लिए अभिभावकों को अधिक संयम की ज़रूरत पड़ेगी पर ऐसा करके आप अपने बच्चे को और hard work करने के लिए motivate कर सकते हैं। आप बच्चे को समझा सकते हैं कि यह समय लौट कर नहीं आएगा। छोटे बच्चों को exam time में extra study और exam के बाद दो–तीन दिल खोल कर मस्ती करने का option दीजिये। याद रखिये डाँट से डर बढ़ेगा marks नहीं।
- Exam के बाद का plan बनाएँ
Parents और बच्चे exam ख़त्म होते ही ऐसे निश्चिंत हो जाते हैं जैसे बहुत बड़ा बोझ हल्का हो गया। सही बात है हल्का –हल्का सा तो लगने लगता है।बच्चे का मन तो free bird जैसा हो जाता है। अब मैं जो चाहूँ करूँगा/करुँगी। उनके दिमाग में सुबह से रात तक का अपना ही plan बन जाता है।बस यहीं पर आपको अपनी smartness दिखानी है कि कुछ दिन बच्चे को जो करना है करने दीजिये पर धीरे –धीरे उसका मन और दिमाग पढाई की ओर मोड़ना होगा। ऐसा नहीं करने पर अगले term का exam का भूत कब सर पर आकर सवार हो जायेगा पता भी नहीं चलेगा। छुट्टियाँ ख़त्म होने से कुछ दिन पहले से ही बच्चे को G.K की पढ़ाई शुरू करवा दीजिये। स्कूल खुलने के दिन नज़दीक आते ही syllabus की पढाई पर ध्यान देना शुरू करिये। इस पैटर्न को अपनाने से बच्चे को अचानक से पढाई का बोझ नहीं लगेगा और वह खुद ही discipline में आ जायेगा। इसका दूसरा फायदा यह होगा कि बच्चे का mindset , exam के पहले और बाद के routine के लिए तैयार रहेगा।
- सिर्फ पढाई –पढाई मत करिये
एक बड़ी हो रोचक कहावत है जो हम सब हसीं –मज़ाक में अपने बचपन से सुनते आये हैं। ‘ पढोगे –लिखोगे तो बनोगे नवाब , खेलोगे –कूदोगे तो बनोगे ख़राब ‘ । आज के ज़माने में यह कहावत सिर्फ नाम की रह गयी गयी है। बच्चे को केवल पढाई के बंधन में बाँधने की कोशिश कतई मत करियेगा। बदलती दुनिया में extra-curricular activities का महत्व पढाई से कमतर बिलकुल नहीं है। किसी को नहीं पता होता कि बच्चे की किस्मत का तारा भविष्य में किस field में चमकेगा। इसलिए ज़रूरी है आप बच्चे की परवरिश का दायरा बड़ा रखें संकुचित नहीं।
सौ बात की एक बात
हमारे संगी साथी parents कई सारे मुद्दों पर चर्चा करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि ‘ सौ बात की एक बात ‘ यही है कि exam fever से पूरी तरह तो नहीं बचा जा सकता पर अपने और बच्चे के routine में कुछ बदलाव करके इसे काफी हद तक कम ज़रूर किया जा सकता है। आपका तरीका जो भी पर एक बात हमेशा याद रखियेगा की हर बच्चा अलग होता है। अपने बच्चे की प्रतिभा के अनुसार exam time में उसका साथी बनिए। सिर्फ school की पढाई के भरोसे बात नहीं बनेगी।
Happy Parenting!