Parent का ‘Me Time’ भी है ज़रूरी
ज़िन्दगी की भागती दौड़ती आपाधापी में इंसान थक जाता है पर जीवन का पहिया ना कभी रुकता है न ही थकता है। इंसान है तो उसका थकना लाज़मी है पर थक कर रुक जाना नहीं। वहीं जब दो इंसान Parents बन जाते हैं तब तो चाह कर भी रुकना मुमकिन नहीं होता। 24*7 बच्चों की ज़िम्मेदारियों का भार उठाए कुछ और सोचने – करने का वक़्त ही नहीं देता। वक़्त की इसी कमी के कारण अक्सर माता–पिता चिड़चिड़े भी हो जाते हैं। ‘ माँ का आँचल ‘ तो सदैव ही बाहें फैलाए हमेशा ही अपनी विशालता का परिचय देता आया है। माँ बिना शिकायत मातृत्व के रास्ते में आने वाली हर चुनौती को हँस कर स्वीकार करते आयी है। बदलते दौर में हमें पिता की भूमिका को भी नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिए। आजकल के Young पिता भी बच्चों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को लेकर सजग हैं जो की एक Progressive कदम है और उसकी सराहना की जानी चाहिए। माँ का कोमल ह्रदय और पिता के मजबूत कंधे दोनों एक–दूसरे के पूरक बन कर सुख–दुःख का भार उठाते, बच्चे की परवरिश करते हुए जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं। कुछ पीछे छूट जाता है तो वह है उनका खुद के लिए ‘ME TIME’ निकाल पाना। यह छोटे–छोटे दो शब्द हैं पर माँ – बाप के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में इनकी बहुत अधिक अहमियत है। ‘माँ के आँचल‘ के इस लेख में हम Parents की Life में ‘ME TIME’ के महत्व को Highlight करेंगे।
ME यानी मैं और TIME मतलब समय। यह तो शाब्दिक अर्थ हुआ। व्यावहारिक भाषा में समझें तो कभी न रुकने वाले ज़िन्दगी के सफर में से शांति के कुछ पल केवल खुद के लिए चुरा कर निकालना। माता –पिता के व्यस्तता भरे जीवन में ‘Me Time’ का होना स्वार्थी होना नहीं है। खुद के लिए निकाले हुए कुछ पल व्यक्ति के जीवन में स्फूर्ति और ऊर्जा का संचार करता है। माँ हो या पिता उन्हें अपनी खुशियों पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए जितना की वह बच्चे और परिवार के बारे में सोचते हैं। यह तभी मुमकिन है जब वह दिन में थोड़ा सा वक़्त खुद के लिए निकालें। ‘ Me Time’ को ‘Taken for Granted’ की तरह ना लें।
ME TIME के फ़ायदे
1. मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करता है ME TIME
माता –पिता को दिन–रात ढेरों बातों की चिंता सताती रहती है। मसलन – घर को व्यवस्थित रखने की चिंता, Office की चिंता , बच्चों के दोस्तों, सोने –उठने की चिंता, परिवार, रिश्तेदारों की चिंता उफ़ ! चिंताओं के इस पुलिंदे के बीच Parents का Mental Energy Level धराशाही हो जाता है। हल्के–फुल्के लहजे में कहा जाये तो Battery Down हो जाती है। वर्तमान समय में इंसान अपने Phone की Battery बार–बार Check करता है कहीं Mobile बंद न पड़ जाये पर उतनी ही गंभीरता से अपने दिल–दिमाग को चुस्त–दुरुस्त रखने शरीर रुपी Battery को Check क्यों नहीं करता। जीवन में चिंताओं का कभी अंत नहीं होता। एक ख़त्म हुई नहीं की दूसरी खड़ी हो जाती है। ऐसे में ‘ME TIME’ आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए Charger का काम करता है। थोड़ा सा खाली समय माता – पिता को जीवन में चल रही गतिविधियों पर विचार करने का मौका देता है।
2. Family का माहौल खुशनुमा बनता है
माँ हो या बाप वह बच्चों की, एक–दूसरे की, Joint Family हो तो क़रीबियों की भी इच्छाओं और ज़रूरतों को पूरा करते–करते खुद की खुशियों को दरकिनार करते चले जाते हैं। मुमकिन है कुछ समय तक आप सबको खुश कर भी लें पर धीरे–धीरे माता –पिता बाकियो की उलझनों में ऐसा उलझते जाते हैं कि वह खुद चिड़चिड़े बन जाते हैं। कई बार इस बात का एहसास होते हुए बहुत देर हो चुकी होती है और आपके चिड़चिड़ेपन का असर परिवार के बाकी लोगों पर भी पड़ने लगता है। इसलिए ना सिर्फ अपनी बल्कि परिवार की खुशियों के लिए पहले आपका खुश रहना ज़रूरी है। दुखी मन खुशियां नहीं बिखेर सकता। तो आज से ही थोड़ा ही सही पर अपने लिए ‘Me Time’ ज़रूर निकालें।
3. बच्चे बनते हैं ज़िम्मेदार
यह तर्क किसी को बेतुका भी लग सकता है कि जब Parents अपने ‘Me Time’ का लुत्फ़ उठा रहे होंगे तो उनके Guidance के बिना बच्चा ज़िम्मेदार कैसे बनेगा। इसे एक प्यारे से उदाहरण से समझते हैं। “ जब पंछी भोजन की तलाश में अपने नन्हे बच्चों को कुछ देर के लिए अकेला छोड़कर जाता है तो चूज़ों पर शिकारी जानवरों का खतरा भी सताता रहता है। पंछी को पता है की कभी न कभी तो उसके चूज़ों को खुद हिम्मत दिखा के उड़ना सीखना ही होगा। चूज़े पंख फड़फड़ायेंगे , गिरेंगे पर एक दिन उड़ना सीख ही जायेंगे। पर यदि वह पंख ही नहीं खोलेंगे तब तो वह कभी उड़ना नहीं सीख सकते। इसलिए पंछी माँ –बाप अपने बच्चों को अकेला छोड़ घोंसले से बाहर जाते हैं ”। ठीक इसी प्रकार जब कभी भी आप अपने बच्चों के नजदीक नहीं होंगे तो वह सही–गलत करते हुए चीज़ों को समझना–करना खुद सीख सकेंगे। बस आप उनकी Activities पर नज़र रखें और उन्हें उनकी छोटी–मोटी गलतियों से सीख लेकर आत्मविश्वास पूर्ण बनने दीजिये।
ME TIME जीने के तरीके
Me Time के फायदे समझने के बाद यदि आपने कुछ पल अपने लिए निकलने का मन बना लिया है तो ‘बधाई हो’ ! आपने खुश रहने की तरफ पहला कदम बढ़ा लिया है। सबसे पहले आप अपने मन को इस बात के लिए मना लें कि यदि आप खुद के लिए समय निकाल रहे हैं तो आपको अपराध बोध (Guilt)से बिलकुल भी ग्रसित नहीं होना है। वह कहते हैं ना कि ‘ दूसरों की मदद करने से पहले खुद की मदद करें ‘। यदि स्वयं का मन – मष्तिष्क स्वस्थ नहीं है तो आप दूसरों का ख्याल कैसे रखेंगे। ‘ME TIME’ के तरीके जानने से पहले यह समझना आवश्यक है कि हर माँ –बाप के लिए Me Time enjoy करने का Style उनके परिस्तिथि और इच्छा के अनुसार अलग हो सकता है। यहाँ हम उन Ideas पर चर्चा करेंगे जो किसी भी Parent के मन को सुकून और ख़ुशी देने का आधार हो सकता है।
1. मनपसंद संगीत सुनें
हमारा मानना है कि संगीत किसी दवाई की तरह काम करता है। मधुर संगीत का असर सीधे व्यक्ति के दिमाग और मन को शांत करता है। दिन भर की भागमभाग, बच्चों का रोना , आपका उन् पर चिल्लाना और फिर उन्हें संभालना, School, Office की जद्दोजेहद (Struggle) में यदि आप अपना मनपसंद संगीत सुनते हैं तो निश्चित रूप से आप Relax महसूस करेंगे। एक बार Try करके देखिये फर्क ज़रूर दिखेगा।
2. खाना बनाना Skip करके अपने पसंद का खाना Order करके खाएं
रोज़–रोज़ लगभग आधा दिन Kitchen में बिताने के बाद अक्सर माओं की खुद की भूख मर जाती है। सबकी पसंद का खाना बनाते –खिलाते वह अपनी पसंद को बड़ी ही आसानी से नज़र अंदाज़ कर जाती हैं। यह कभी न ख़त्म होने वाला Routine है इसलिए कभी–कभार इस नीरसता (Monotonous) को तोड़ते हुए अपनी पसंद का खाना बाहर से मंगाकर शान से बैठ कर खाइये। यकीन जानिए ‘वह लुत्फ़ आएगा जैसे आप जन्नत में हैं ‘।
3. किताबों का शौक है तो कोई Book पढ़ें
कई लोगों का किताबों के साथ Best Friend जैसा रिश्ता होता है पर बच्चों की ज़िम्मेदारियों के बीच यह रिश्ता कहीं पीछे छूट जाता है। आज ही अपनी पसंदीदा किताबों की धूल साफ़ करिये और उनसे दोस्ती की डोर को फिर से मज़बूत बनाइये।
4. Mummy-Papa कुछ Shopping अपने लिए भी करिये
बच्चे होने के बाद Parents की Shopping List पूरी तरह से उनके ही इर्द–गिर्द सिमट कर रह जाती है। कुछ पैसे और समय बचा कर खुद के लिए भी कभी–कभी Shopping करें। यह स्थायी ख़ुशी का जरिया बिलकुल नहीं है पर ख़ुशी के पल ऐसे ही अस्थायी पलों से चुराने पड़ते हैं।
5. Friend Group है तो एक दिन का Personal Outing Plan बनाएं
खुशनसीब होते हैं वह लोग जिनके पास सच्चे और अच्छे दोस्तों का Group होता है। दोस्तों के साथ खुलकर हँसी–ठिठोली करना, अपने सुख–दुःख बांटना किसी Treatment से कम नहीं है। आपके जो भी दोस्त आपके शहर में रहते हों कभी–कभी उनके साथ बिना बच्चों के बाहर जाने का Plan बनाएं। कुछ घंटों के लिए घर की चिंताओं को घर पर छोड़ कर बाहर निकलिये और Refresh होकर लौटिए।
6. Film या T.V Show का आनंद लीजिये
कुछ लोगों को T.V देखने का भी शौक होता है पर बच्चे होने के बाद अधिकतर समय Television पर बच्चों का कब्ज़ा होने के कारण Parents खासकर माँ को T.V देखने का मौका ही नहीं मिल पाता है। ऐसे में कभी–कभी आपको थोड़ा कड़ा होकर बच्चों को समझाना होगा की थोड़ा मनोरंजन (Entertainment) आपको भी चाहिए। अपने लिए T.V Time अलग से रखिये। जब तक आप कहेंगे नहीं तो कोई समझेगा नहीं और आपका जीवन केवल घर की ज़िम्मेदारियों के बीच नीरस बनता जायेगा।
सौ बात की एक बात
माँ का आँचल जानता है कि आपमें से अधिकतर Parents रोज़ाना चाह कर भी अपने लिए समय नहीं निकाल पाते होंगे। आज नहीं कल पर बात टलती जाती होगी। पर यकीन जानिये कल–कल होते हुए कई आज और कल बीतते जायेंगे और आपका अपने लिए वह दिन खुद से कभी नहीं निकल पायेगा। आप माँ –बाप बने हैं तो ज़िम्मेदारियों का भार बच्चों के बड़े होने तक खत्म नहीं होगा तब तक तो पूरी उम्र यूँ ही बीत जाएगी। हमारी सलाह है कि उम्र को बीतने मत दीजिये और आज से ही कुछ पल अपने लिए भी निकालिये। सौ बात की एक बात यही है कि आपको भी खुश रहने का भी पूरा हक़ है। ज़िम्मेदारियाँ निभाइये पर अपनी खुशियों को भुला कर नहीं। किसी ने क्या खूब कहा है ‘ ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए लम्बी नहीं ‘। हमारी आप सब माता – पिता से गुज़ारिश है कि अपनी ज़िन्दगी को एक नयी पहचान दीजिये जिसमे सबके साथ आपकी खुद की ख़ुशी भी Priority List में शामिल हो।
Happy Parenting!