Social Etiquette जो बनाएं बच्चे को Ordinary से Extraordinary
हम सब समाज का अहम हिस्सा हैं। यहाँ कुछ अच्छे, कुछ बुरे हर तरह के लोग मिलेँगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी की अच्छाई या बुराई पैदाइशी नहीं होती तो फिर लोगों के जीवन , रहन -सहन , शिष्टाचार ,व्यवहार में इतना अंतर क्यों होता है। इसका सीधा Connection व्यक्ति के सामाजिक वातावरण से होता है जिसकी नींव पड़ती है घर-परिवार के माहौल से। बच्चा संस्कारी बनेगा कि उधमी यह माँ -बाप और परिवार की दिनचर्या पर निर्भर करता है। यदि parents ने बच्चे के बचपन से ही Social Etiquette का ‘ Step by Step ‘ Guidance दिया है तो कोई कारण नहीं की बच्चा ‘ शिष्टाचारी और संस्कारी ‘ नहीं बनेगा। शिष्टाचार कोई घुट्टी नहीं जिसे आप एक बार घोल के बच्चे को पीला दें बल्कि यह तो समय के साथ चलते रहने वाली ऐसी प्रक्रिया है जो बच्चे के उज्जवल भविष्य (Child ‘s Bright Future) को पुख्ता बनाती है। मज़बूत संस्कारी नींव बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाने में मददगार साबित होती है। सौ टके की बात यह है कि ऐसे कौन Social Etiquette हैं जिन्हे प्रत्येक माता -पिता को अपने बच्चे की परवरिश में शुरू से विकसित करना चाहिए। आइये विस्तारपूर्वक उनको चिन्हित करते हैं।
1. दया और सम्मान का भाव होना
समाज में विभिन्न वर्गों (status) के लोग रहते हैं। Parents को अपने बच्चे को सभी के प्रति एक समान ‘ सम्मान और दया ‘ का भाव रखना सीखाना चाहिए।छोटा -बड़ा , अमीर -गरीब , काला -गोरा आदि के आधार पर बच्चे का व्यवहार बदलना नहीं चाहिए बल्कि उसे व्यक्ति का स्वभाव देखना चाहिए।
2. Table Manners भी जानना है ज़रूरी
आपके-हमारे संपर्क में कभी न कभी ऐसे लोग अवश्य ही आये होंगे जो खाना खाते time मुँह से आवाज़ करते , डकार मारते ,खाना छोड़ देते हैं। उनका ऐसा आचरण अचानक से बड़े होने पर नहीं बदला होगा। निश्चित रूप से उनके बचपन में ‘Table or Eating Manners’ की A,B,C.D की समझाईश नहीं दी गयी होगी तभी तो ऐसा आचरण उनकी routine lifestyle का part बन गया। पहले ज़माने की अपेक्षा आजकल Eat Out का चलन काफी बढ़ चला है। ऐसे में आपको बच्चे के छुटपन से ही Good Eating Habits सीखाना चाहिए। खाने से पहले Hand Wash करना। उतना ही खाना ले जितना finish कर सके।Table पर खाना परोसा गया है तो napkin को गोद में फैला कर रखे। कोई चीज़ चाहिए तो Please कहकर दूसरे व्यक्ति से PASS करने को कहे और Thank You कहना न भूले। Restaurant में Waiter को भी सम्मान दे। किसी के घर या फिर बाहर कहीं भी शालीनता के साथ खाना खाये।
3. अपने से बड़ों को बातचीत के दौरान टोके नहीं
बच्चों से अधिक संयमता की अपेक्षा करना गलत होगा पर आपको बच्चे को ‘Listening and Talking Manners’ भी सीखना बहुत ज़रूरी है। जब कभी दो बड़े (adults) बात कर रहे हैं तो बच्चे को यह पता होना चाहिए की बीच में टोका – टाकी करना अशिस्ट व्यवहार होता है। कुछ बहुत important है तभी उनके बीच में बोले। संयम के साथ सुनना भी एक कला है जो ज्ञान बढ़ाने में भी मदद करता है यह बच्चे को बताएं।
4. बातचीत में Eye Contact के महत्व को समझाएं
कुछ लोग Introvert होते हैं तो कुछ Extrovert। ऐसा माना गया है जो व्यक्ति ‘ आँख में आँख डालकर ‘ बिना झिझक बात कर लेता है उसका Confidence Level High होता है। किसी से भी बात करते समय Eye Contact बने रहने से अगला व्यक्ति आपसे बात करने को अधिक इच्छुक होगा। यह सामने वाले को सम्मान देने का एक तरीका होता है ,इसका मतलब यह कतई नहीं है की बच्चा किसी की आँखों में लगातार घूरते हुए उसे असहज महसूस करवाए। बीच -बीच में पलके झपकना चाहिए।
5. कभी भी किसी की शारीरिक बनावट पर टीका – टिप्पणी (comment) ना करे
दुनिया में हर मनुष्य की शारीरिक बनावट एक-दूसरे से काफी अलग होती है। किसी बच्चे की पैदायशी (by birth) Growth अलग होती है तो कोई किसी अनहोनी के कारण अलग दिख सकता है। समय किसी ने नहीं देखा की कब-क्या हो जाए तो एक ज़िम्मेदार parent होने के नाते आपको बच्चे को समझाना चाहिए की किसी को भी उसके शारीरिक बनावट (Physical Appearance) के आधार पर नकारात्मक या मज़ाकिया टिप्पणी (comment) करना हर हाल में अनुचित है। मज़ाक में कहे शब्द किसी का मनोबल तोड़ सकते हैं। Social media की दुनिया में इन्हे ‘Trollers’ कहा जाता है जिनका ना किसी से लेना ना देना बस दिन भर बैठ कर troll करना Time Pass है।
6. खांसते या छींकते समय मुँह ढकें
खांसी या छींक आना सामान्य बात है पर असामान्य यह है जब कोई मुँह न ढके और सौम्यता के साथ sorry भी न कहे। घर हो या बाहर अपने बच्चे को ‘Excuse me’ या ‘Sorry’ कहना सिखाएं। मुँह ढकना या दूसरे तरफ करना तो पहले ज़रूरी है।
7. KNOCK-KNOCK ! बिन खटखटाए अंदर ना जाए
Privacy अहम संवेदनशील शिष्टाचार है। इसका महत्व हर बच्चे को पता होना चाहिए। बच्चे को समझाएं की किसी के भी कमरे का दरवाज़ा यदि बंद है तो दनदनाते हुए अंदर नहीं चले जाना चाहिए, फिर वह कमरा Mummy-Papa का ही क्यों न हो। पहले Knock करे मतलब खटखटाए और अंदर से हां का जवाब मिलने पर ही दरवाज़ा खोले। बचपन का यह manner बच्चे को बड़े होने पर भी किसी असहज परिस्तिथि में पड़ने से बचाएगा और वह एक सभ्य इंसान की श्रेणी में गिना जाएगा।
8. ज़रूरतमंद की मदद करना सिखाएं
ईश्वर करे आप अपने बच्चे को जीवन की सारी सुख-सुविधाएं देने में सक्षम हों। सबसे पहले तो आप बच्चे को ईश्वर का धन्यवाद् करना सिखाएं और मौका मिलने पर न सिर्फ पैसों से बल्कि जैसी भी सहायता संभव हो सके ज़रूरतमंद की अवश्य करे। जीवन में दुआओं का अनकहा महत्व होता है। मदद करते समय बच्चे को थोड़ा सतर्क रहना भी सिखाएं क्यूंकि आजकल अच्छाई का नाजायज़ फाएदा उठाने वालों की कमी भी नहीं है।
9. दोस्ती का हाथ बढ़ाना सिखाएं
अक्सर दोस्तों का group बन जाता है जिसमे किसी नए की entry होना आसान नहीं होता। बच्चे को बताएं की यदि उसके school/class, building या पड़ोस में कोई बच्चा खुद को अलग-थलग महसूस करता है तो आपका बच्चा उसकी ओर दोस्ती का हाथ खुद बढ़ा कर उसे अकेला होने से बचा सकता है। अच्छे दोस्त की कीमत शब्दों में बयां नहीं की सकती। क्या पता वह दोस्त जीवन भर उसका साथ निभाए और ‘Friends Forever’ बन जाए।
10. Golden Words की चमक कभी फीकी नहीं पड़ती
कहते हैं न जुबान से निकली बात कमान से निकले तीर की तरह होती है जो एक बार निकल गया तो लौट के आना नामुमकिन है। बच्चे को वाणी में मिठास रखना सिखाएं। कभी कभी तीखे शब्दों का वार,मार से भी अधिक चोट पहुँचाता है। Golden Words जैसे THANK YOU , SORRY , EXCUSE ME , GOD BLESS YOU, WELCOME etc दिल को छू लेने वाले वह शब्द हैं जिनकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ती तो आज ही अपने बच्चे को परिस्तिथि अनुसार इन शब्दों का इस्तेमाल करना सिखाएं।
सौ बात की एक बात
Social learning जीवन के साथ – साथ चलते रहता है क्यूंकि हम लगभग हर रोज़ किसी ना किसी नए लोगों के संपर्क में आते हैं। मनुष्य होने के नाते SOCIETY में रहना है तो Social Etiquette सीखना Mandatory बन जाता है। हमने इस लेख में चुन-चुन के शिष्टाचार के नियमों पर चर्चा की है। सौ बात की एक बात यही है की यदि parent बचपन से ही अपने बच्चे के व्यव्हार में बताये गए Manners शामिल करेंगे तो वह आपको प्रशंशा का पात्र अवश्य बनाएगा। तो फिर क्युं न आप आज ही अपने बच्चे को Ordinary से Extra Ordinary बनाने के लिए कमर कस लें । वह कहते हैं न ‘ जब जागो तब ही सवेरा ‘। ‘ ‘माँ का आँचल ‘ ने इस Article के ज़रिये यदि आपके मातृत्व जीवन में थोड़ा भी सहयोग किया है तो अपने विचार COMMENT Section मेंअवश्य ही साझा करियेगा। पाठकों का जुड़ाव हमारा उत्साह बढ़ाने में सदैव मदद करेगा।
Happy Parenting!